जम्मू: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के विस्थापित लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में समुदाय के लिए एक सीट आरक्षित करने के केंद्र सरकार के फैसले को शुक्रवार को ‘सौतेले” व्यवहार करार दिया। ‘एसओएस इंटरनेशनल’ ने कहा कि उसे उम्मीद थी कि पीओके के विस्थापित लोगों के लिए कम से कम आठ सीट आरक्षित की जाएंगी, क्योंकि इनकी संख्या लगभग 12 लाख है।
संगठन के प्रमुख राजीव चुन्नी ने यहां पत्रकारों से कहा, “भारत सरकार के फैसले से समुदाय नाराज है। इसे सहन नहीं किया जा सकता है। सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।” केंद्र शासित जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला समेत दो सदस्यों और पीओके के विस्थापित लोगों में से एक सदस्य को मनोनीत करने से जुड़े एक विधेयक को बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया था। चुन्नी ने कहा, “हम जम्मू कश्मीर के संविधान के प्रावधान के मुताबिक, आठ सीट की मांग कर रहे हैं। संविधान में पीओके के लिए 24 सीट आरक्षित थी। हम उस कोटे में से आठ सीट की मांग कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि समुदाय को लगता है कि केंद्र का फैसला उसके साथ विश्वासघात है। चुन्नी ने यह भी मांग कि कि समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे ‘पहाड़ी’ हैं। चुन्नी ने कहा, “हम इंसाफ के लिए लड़ने को तैयार हैं। हमारी आबादी 12 लाख है। लोग सड़कों पर उतर आएंगे। अगले कदम पर समुदाय के सदस्य संयुक्त रूप से फैसला करेंगे।”