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जम्मू कश्मीर के भद्रवाह राजमा और सुलाई शहद को मिला ‘GI’ का दर्जा, जानें क्या है खास

जम्मू कश्मीर के लिए आई एक अच्छी खबर में डोडा जिले के भद्रवाह राजमा और रामबन के सुलाई शहद को जीआई टैग मिला है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published : Aug 30, 2023 16:20 IST, Updated : Aug 30, 2023 16:23 IST
Bhaderwah Rajma, Sulai honey
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE जम्मू कश्मीर के भद्रवाह राजमा और सुलाई हनी को जीआई टैग मिला है।

जम्मू: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के प्रसिद्ध भद्रवाह राजमा, जो कि राजमा की एक किस्म है, और रामबन के सुलाई शहद को GI टैग मिल गया है। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि GI का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्र के इन लोकप्रिय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलेगी। PMO में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के इन उत्पादों को और लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी। सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा है, ‘उधमपुर-कठुआ-डोडा लोकसभा क्षेत्र के लिए और उपलब्धियां आ रही हैं। बसोहली पेटिंग के बाद भद्रवाह राजमा और रामबन सुलाई शहद को भौगोलिक संकेतक का दर्जा मिला है।’

‘8 वस्तुओं के जीआई टैक के लिए हुआ था आवेदन’

बता दें कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह उधमपुर-कठुआ-डोडा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधिनत्व करते हैं। जम्मू के संगठनों ने पिछले साल जम्मू क्षेत्र के विभिन्न जिलों से 8 अलग-अलग पारंपरिक वस्तुओं के लिए GI टैग के लिए आवेदन किया था। कृषि उत्पादन एवं कृषक कल्याण निदेशक (जम्मू) के. के. शर्मा ने कहा, ‘डोडा और रामबन जिलों को आज 2 GI टैग मिले। एक भद्रवाह का राजमा है जिसे लाल सेम कहा जाता है और दूसरा शहद है। यह रामबन जिले का सुलाई शहद है। ये चिनाब घाटी के 2 बेहद खास प्रोडक्टस है।’ उन्होंने कहा कि ये उत्पाद क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का माध्यम हैं।

‘PM मोदी ने एलिजाबेथ को गिप्ट किया था सुलाई शहद’
GI टैग से किसानों की आय दोगुना करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ को जैविक सुलाई शहद गिफ्ट में दिया था। शर्मा ने कहा कि विभाग ने इन उत्पादों के लिए GI टैग की प्रक्रिया शुरू की थी। आखिरकार मंगलवार को इसकी इजाजत मिल गई। भौगोलिक संकेतक या GI टैग एक दर्जा है जो किसी विशेष उत्पाद को मिलता है। यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र या मूल देश को निर्दिष्ट करता है। यह दर्जा ऐसे उत्पादों के तीसरे पक्ष द्वारा दुरुपयोग को रोकता है।

GI का दर्जा मिलने से बढ़ती है क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि
के. के. शर्मा ने कहा कि GI का दर्जा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का एक रूप है जो एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान से उत्पन्न होने वाले और उस स्थान से जुड़े विशिष्ट प्रकृति, गुणवत्ता और विशेषताओं वाले सामान की पहचान करता है। निदेशक ने कहा, ‘अब केवल आथराइज्ड यूजर के पास ही इन उत्पादों के संबंध में GI टैग का इस्तेमाल करने का विशेषाधिकार है। कोई भी व्यक्ति अपने भौगोलिक क्षेत्रों से परे इसकी नकल नहीं कर सकता है।’ किसी उत्पाद को GI का दर्जा मिलने से उस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। (भाषा)

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