Highlights
- सरकारी ऑफिसों में गुटखा, पान-मसाला हुआ बैन
- तय समय पर काम करने लगे सरकारी अधिकारी
- गुंडों में बढ़ा पुलिस और सरकार का खौफ
योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार यूपी के सीएम के रूप में शपथ ली है। आज यानी 25 मार्च को लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में उनका शपथ ग्रहण समारोह हो रहा है। ऐसे में जनता के मन में एक सवाल ये भी है कि क्या योगी के दूसरी बार सीएम बनने के बाद यूपी की तस्वीर बदल जाएगी?
इस सवाल के जवाब को समझने के लिए हमें योगी सरकार के पहले कार्यकाल पर ध्यान देना होगा। योगी आदित्यनाथ साल 2017 में जब पहली बार यूपी के सीएम बने थे तो फौरन उन्होंने 2 बड़े आदेश दिए थे। उनका पहला आदेश था कि सरकारी दफ्तरों में पान, गुटखा और तंबाकू जैसे उत्पादों को बैन किया जाए और दूसरे आदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्किंग आवर्स को कड़ाई से फॉलो करने की बात थी।
सरकारी दफ्तरों में समय से होने लगा था काम, रहने लगी थी सफाई
योगी के फैसले का असर सरकारी दफ्तरों में साफ दिखाई देने लगा था। जो सरकारी दफ्तर पहले पान, गुटखा और तंबाकू की वजह से गंदे रहते थे, वहां स्वच्छता दिखाई देने लगी थी और जो सरकारी कर्मचारी अपने मन से किसी भी समय ऑफिस आते-जाते थे, वह समय से ड्यूटी करने लगे थे। ये प्रक्रिया आज तक जारी है।
मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये बात सामने आईं थी कि सीएम योगी सुबह 3 बजे के आस-पास उठ जाते थे और 7 बजे से मीटिंग्स शुरू हो जाती थीं। योगी के इस कड़े अनुशासन वाले रुटीन ने कई बड़े अधिकारियों की नींद उड़ा दी थी और जो सरकारी काम पहले देर-सबेर होते थे, वह तय समय पर पूरे किए जाने लगे थे। लेखक शांतनु गुप्ता ने अपनी किताब और योगी आदित्यनाथ की बायोग्राफी ‘द मॉन्क हू बिकम चीफ मिनिस्टर’ में इन बातों का जिक्र किया है।
बुलडोजर बाबा के नाम से हुए मशहूर, कई माफियाओं के अवैध निर्माण को किया ध्वस्त
पहले कार्यकाल के दौरान सीएम योगी बुलडोजर बाबा के नाम से भी चर्चित हुए क्योंकि उन्होंने कई माफिया और अपराधियों के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलवाया। बीते गुरुवार को यानी शपथ ग्रहण से एक दिन पहले गाजियाबाद में करोड़ों की संपत्ति बुलडोजर से नष्ट की गई। वसुंधरा जोन के साइट चार में एक माफिया ने 7084 वर्ग मीटर की एक जमीन पर कब्जा कर रखा था।
इस जमीन की कीमत 85 करोड़ बताई जा रही है। यूपी सरकार के अधिकारियों ने इस जमीन पर हुए निर्माण कार्य को ध्वस्त कर दिया। इस तरह के कई मामले यूपी में बीते 5 सालों में दिखाई दिए, जिसमें करोड़ों की अवैध कब्जे वाली जमीनों पर हुए निर्माण को ध्वस्त किया गया है और जमीन को माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराया गया है।
गुंडों में बढ़ा पुलिस और सरकार का खौफ, कानून व्यवस्था हुई मजबूत
योगी के पहले कार्यकाल में गुंडों के बीच पुलिस का खौफ इस कदम बढ़ गया कि वह खुद सरेंडर करने लगे। योगी के एक्शन ने गुंडों के मन में ये बैठा दिया था कि जीवित रहने के लिए या तो गुंडई छोड़नी पड़ेगी, या फिर जेल जाना होगा। इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। योगी कार्यकाल में कई अपराधियों के एनकाउंटर हुए और कई ने सरेंडर भी किया।
अपराधियों पर नकेल कसने का नतीजा ये हुआ कि जिस यूपी में खुलेआम अपराध करने से अपराधियों को खौफ नहीं लगता था, वहां अब कानून का राज स्थापित हुआ और जनता ने राहत की सांस ली।
मुसहरों को चूहा खाने से मुक्ति मिली, वंचित-उपेक्षित वर्ग को मिली प्रमुखता
योगी के पहले कार्यकाल में वंचित-उपेक्षित वर्ग के लिए काफी काम किए गए। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में ही मुसहरों को मूस (चूहा) खाने से मुक्ति मिली और इन लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा गया और शिक्षा की अहमियत के बारे में समझाया गया। इस दौरान रोजगार, इनवेस्टमेंट और कृषि समेत कई योजनाओं पर काम हुआ।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यूपी में 4.68 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है और 82 लाख से ज्यादा औद्योगिक यूनिट्स स्थापित किए गए हैं। इस दौरान इज आफ डूइंग बिजनेस में भी यूपी की रैंकिंग सुधरी और 14वें स्थान से दूसरे स्थान पर आ गई।
योगी सरकार में बेरोजगारी दर घटी, किसानों का ऋण हुआ माफ
योगी सरकार में बेरोजगारी के मुद्दे पर काफी ध्यान दिया गया। इसका असर ये हुआ कि बेरोजगारी दर घटकर 4.1 प्रतिशत पर आ गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, योगी सरकार में करीब 5 लाख युवाओं को नौकरी मिली और 20 करोड़ लोगों को एमएसएमई सेक्टर में सेवायोजित किया गया।
योगी सरकार में किसानों के हित में कई काम हुए, जिसमें 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ हुआ। इसके अलावा प्रदेश के किसानों के खाते में करीब 38 हजार करोड़ रुपए आए और गन्ना किसानों को 1.50 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया। योगी सरकार में कई चीनी मिलों को भी शुरू किया गया।
इसके अलावा भी सीएम योगी ने 5 साल के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे काम किए हैं, जिससे जनता को राहत तो मिली है, लेकिन अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं। ऐसे में अपने दूसरे कार्यकाल में सीएम योगी के लिए इन अपेक्षाओं पर खरा उतरना एक बड़ी चुनौती होगी। देखना ये होगा कि अपने दूसरे कार्यकाल में सीएम योगी किन मुद्दों को प्राथमिकता पर रखते हैं।