Highlights
- 1998 में सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार बने लोकसभा सांसद
- सामाजिक, सांस्कृतिक चेतना के लिए बनाई हिंदू युवा वाहिनी
- जब योगी ने सीएम बनते ही तोड़ डाले कई मिथक
Yogi Adityanath 50th Birthday: योगी आदित्यनाथ...देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे का वो मुख्यमंत्री, जो जनता का सेवक और माफियाओं पर कहर बनकर टूटता है, जो आम जनता के भय और भूख को हर लेने को अपना जीवन का अहम लक्ष्य मानता है। जिन्होंने धर्म की राह से राजनीति के सफर तक हमेशा जनता को ही सर्वोपरि माना है। मानव सेवा ही ईश्वर सेवा का भाव मन में धारण कर वो आज उत्तर प्रदेश की सफलता की इबारत लिखने में जी जान से जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 50 वर्ष के हो गए। इस यात्रा में उन्होंने संघर्ष भी देखा और सफलता भी देखी। हर परिस्थितियों में काम करने क उनके अनुभव का ही नतीजा है कि कभी गैंगवार, माफियाराज, दंगे फसाद का पर्याय बना उत्तर प्रदेश आज हर नए दिन के साथ सफलता की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। जानिए उनके जीवन के अलग—अलग पहलुओं से जुड़ी बातें।
लिया संन्यास...और आनंद सिंह बिष्ट से बन गए योगी आदित्यनाथ
5 जून 1972 को उत्तराखंड के पंचुर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में जन्मे योगी के पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट था। अपने माता-पिता के सात बच्चों में योगी शुरू से ही सबसे तेज तर्रार थे। बचपन में उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था। 1992 में जब राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन हुआ, तो योगी इससे काफी प्रभावित हुए। तब उन्हें गोरखपुर में महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और 1994 में योगी सार्वजनिक जीवन त्यागा और संन्यासी हो गए। गुरु से दीक्षा ग्रहण करने के बाद वे अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गए। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी गोरक्षपीठ के महंत घोषित किए गए।
1998 में सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार बने लोकसभा सांसद
योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक जीवन को देखा जाए तो यह पिछली सदी के आखिरी वर्षों से शुरू होता है। वो 1998 से गोरखपुर क्षेत्र का लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब 2014 में योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव जीता और पांचवी बार लोकसभा सदस्य बने। दरअसल, योगी के गुरु अवैद्यनाथ ने सन 1998 में राजनीति से संन्यास लिया था और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। जहां से उनके गुरु ने छोड़ा, वहीं से राजनीति की राह योगी ने पकड़ ली। पहली बार 1998 में लोकसभा चुनाव जीते, तो उस समय उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष की थी और वे लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद थे।
सामाजिक, सांस्कृतिक चेतना के लिए बनाई हिंदू युवा वाहिनी
योगी चाहते थे कि हिंदु युवाओं में सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जागृति और चेतना आए, इसके लिए उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की। उन पर कट्टर हिंदूवादी छवि का भी आरोप लगा, लेकिन अपने 5 साल के पहले मुख्यमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने अपने काम से हर तबके और हर पंथ का मन जीता और सबके साथ, सबके विश्वास से वे फिर प्रचंड बहुमत से दोबारा सत्ता में आए। उन्होंने प्रदेश के विकास में कभी मजहब को नहीं देखा। सभी के विकास और खुशहाली के लिए काम किया। यही काम वे अपने दूसरे कार्यकाल में भी कर रहे हैं।
जब योगी ने सीएम बनते ही तोड़ डाले कई मिथक
- उत्तर प्रदेश में कई सालों बाद एक मिथक भी टूटा कि कोई सीएम दोबारा सत्ता में नहीं आता। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अपने काम से जनता का दिल जीता और दोबारा सत्ता में आए। लगातार दूसरी बार सीएम बनने का यह मिथक 37 साल बाद टूटा।
- यही नहीं, UP की सियासत में पिछले तीन दशक से एक मिथक बना हुआ था कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। लेकिन योगी मैजिक के आगे यह मिथक भी फेल हो गया।
साल और सफर: एक नजर में
- 29 जनवरी 2015 से 21 सितम्बर 2017 तक उन्होंने सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।
- 2014 में वे 16 वीं लोकसभा (5 वें कार्यकाल) के लिए चुने गए। इस बार उन्होंने समाजवादी पार्टी की राजमती निषाद को हराया।
- 2009 में उन्हें 15 वीं लोकसभा (4 वें कार्यकाल) के लिए फिर से चुना गया।
- 31 अगस्त 2009 को वे परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और गृह मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य बने।
2022 के विधानसभा चुनाव में 1 लाख से ज्यादा मतों से जीते योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी साल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और दोबारा सीएम बने। उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहरी क्षेत्र से उन्होंने 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज़ की थी। इससे पहले 2017 उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया पहली बार सूबे के सीएम बने। पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने 2017 में ऐसे समय उन पर विश्वास जताया, जब सीएम पद के लिए अन्य नामों की प्रमुखता से चर्चा थी।
अब 2022 में वो सीएम बनने के बाद पीएम मोदी के विश्वास पर खरे उतरते हुए जनहितैषी योजनाओं को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित कर रहे हैं। साथ ही राज्य में सुदृढ़ कानून और शासन-प्रशासन व्यवस्था के साथ वो यूपी की जनता का जीवन आसान और खुशहाल बनाने के प्रयास में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।