Highlights
- लोकसभा चुनाव में फिर साथ दिख सकती है 'चाचा—भतीजा' की जोड़ी
- मुलायम ने परिवार में 'मनभेद' नहीं होने दिया, ये बात समझता है यादव कुनबा
- राजनीतिक फायदा भी दोनों को साथ ही रहने में आता है नजर
UP News: मुलायम सिंहद यादव के निधन के बाद अब अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच कैसे संबंध रहेंगे। इस बात को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा है। इस चर्चा ने तब और जोर पकड़ा जब नीतीश कुमार बुधवार को 'नेताजी' को श्रद्धांजलि देने सैफई पहुंचे। यहां उन्होंने अखिलेश यादव और महागठबंधन से जुड़ी बात पर अपनी राय रखी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या अब नीतीश कुमार महागठबंधन को यूपी में ताकतवर बनाने के लिए अखिलेश और उनके चाचा को एकसाथ लाने की कोशिश करेंगे? अगर वे कोशिश करेंगे तो क्या दोनों चाचा भतीजे अपने अहम को पीछे छोड़कर साथ आ सकेंगे? 'चाचा भतीजे' की राजनीति में आने के क्या कारण हो सकते हैं।
सबसे पहले यह जान लेते हैं कि नीतीश कुमार ने मुलाय सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से क्या कहा। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बुधवार को सैफई (Saifai) पहुंचे। जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से मुलाकत की और नेताजी को श्रद्धांजलि दी। वे काफी देर तक सपा प्रमुख के साथ बातचीत करते हुए भी नजर आए। इसके बाद बिहार के सीएम जब बाहर निकले तो उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की।
मुलायम से पूछा अखिलेश और शिवपाल को साथ लाने पर सवाल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को एक साथ लाने पर सवाल किया गया। तब मुख्यमंत्री ने कहा, "ये बिलकुल अगल और डिफरेंट चीज है। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें हमें प्रमोट करने की जरूरत है।" दरअसल, नीतीश कुमार का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब माना जा रहा है कि अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव की राहें अलग-अलग हो चुकी है।
'चाचा-भतीजा' दोनों को इसलिए साथ लाना चाहेंगे नीतीश
दरअसल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार पिछले दिनों बीजेपी से अलग होकर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं। वे अब पूरी तरह इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि महागठबंधन एकजुट हो और मजबूती के साथ बीजेपी का सामना करे। ऐसे में यूपी सबसे अहम हो जाता है, जहां सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें हैं। अब यहां समाजवादी पार्टी को एकजुट करना नीतीश के लिए बड़ा सबब हो सकता है। वे समाजवादी पार्टी को एकजुट करके चुनाव में कलेक्टिवली बीजेपी को टक्कर देना चाहते हैं। ऐसे में चाचा शिवपाल यादव जो अखिलेश से अलग होकर अपनी खुद की पार्टी 'प्रसपा' बना चुके हैं। उन्हें और अखिलेश को चुनाव में एकसाथ आने के लिए नीतीश कुमार कोशिश कर सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में फिर साथ दिख सकती है 'चाचा-भतीजा' की जोड़ी
भले ही शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे के खिलाफ कितना भी विरोध में बोलते हों। अपनी अलग पार्टी भी बना ली, लेकिन जिस तरह से पिछले यूपी विधानसभा में दोनों साथ आए, उसके बाद इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वे फिर लोकसभा में एक बैनर के तले आ जाएं।
मुलायम ने परिवार में 'मनभेद' नहीं होने दिया, ये बात समझता है यादव कुनबा
मुलायम सिंह यादव ने अपने जीते जी यादव कुनबे में कभी भी 'मनभेद' नहीं होने दिया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भले ही मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव सपा छोड़कर बीजेपी में चली गई हों। लेकिन उन्होंने 'नेताजी' के पांव छूकर पहले आशीर्वाद लिया था। वहीं अखिलेश यादव ने भी अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने पर कोई कटाक्ष की बात नहीं कही। अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव ने भी भले ही एकदूसरे पर राजनीतिक हमला बोला हो, लेकिन हमेशा इतनी गुंजाइश रखी कि कभी भी दोनों फिर एकसाथ चुनाव लड़ सकते हैं। यह पिछे यूपी विधानसभा चुनाव में सभी ने देखा। मुलायम सिंह यादव के निधन पर भी दोनों ही नेता साथ दिखे हैं।
राजनीतिक फायदा भी साथ ही रहने में आता है नजर
चाचा शिवपाल सिंह यादव को ये मालूम है कि वे कभी भी अकेले दम पर चुनाव जीतकर सत्ता नहीं पा सकते हैं। लेकिन अपने 'अहम'के कारण उन्होंने अलग राजनीतिक पार्टी बना ली। ये सच है कि मुलायम सिंह के एक कहने पर वे साथ में चुनाव लड़े। लेकिन अब 'नेताजी' नहीं है ऐसे में सक्रिय राजनीति में होने के चलते वे खुद अब नहीं चाहेंगे कि अपने विरोधों से इतना दूर चले जाएं कि वे कभी सपा के साथ ही न आ पाए। वहीं अखिलेश भी नहीं चाहेंगे कि पिताजी के जाने के बाद अब चाचा के खिलाफ खूब राजनीतिक निशाने साधें। क्योंकि मुलायम सिंह के 'अनकहे' राजनीति के फलसफे को दोनों अच्छी तरह समझते हैं। यही कारण है कि यदि महागठबंधन की बात आती है तो 'चाचा भतीजा' साथ आकर चुनाव लड़ लें तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं होगा।