Friday, November 22, 2024
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Who is Shrikant Tyagi: यूं ही नहीं था श्रीकांत त्यागी का ऐसा टाइट भौकाल... लंबा है आपराधिक इतिहास

Who is Shrikant Tyagi श्रीकांत त्यागी के ओमैक्स सोसाइटी में अवैध निर्माण पर आज सुबह बुलडोजर चल गया है। सरकार का इशारा होते ही पूरा सरकारी अमला त्यागी के कागज चेक करने में लग गया। उसकी 15 दुकानों पर जीएसटी चोरी का केस बन गया है।

Written By: Swayam Prakash @@SwayamNiranjan
Updated on: August 09, 2022 6:19 IST
How Shrikant Tyagi used to misuse the system and power- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV How Shrikant Tyagi used to misuse the system and power

Highlights

  • श्रीकांत त्यागी के पास थे 5 गनर और 25 बाउंसर
  • मोस्ट वांटेड श्रीकांत त्यागी की क्या है हिस्ट्री?
  • भयंकर टाइट रहता था श्रीकांत त्यागी का भौकाल

Who is Shrikant Tyagi: श्रीकांत त्यागी के ओमैक्स सोसाइटी में अवैध निर्माण पर आज सुबह बुलडोजर चल गया है। सरकार का इशारा होते ही पूरा सरकारी अमला त्यागी के कागज चेक करने में लग गया। उसकी 15 दुकानों पर जीएसटी चोरी का केस बन गया है। जहां-जहां जो भी निर्माण किया है, अथॉरिटीज से उसकी रिपोर्ट मांगी गई है। उसकी सिक्योरिटी में लगे गनर किसके आदेश से मिले इसका पता लगाया जा रहा है। राजनीति से लेकर अफसरशाही तक उसके गॉडफादर कहां कहां बैठे थे इसे खंगाला जा रहा है। 6 पुलिसवाले अबतक सस्पेंड हो चुके हैं। श्रीकांत त्यागी को पुलिस की 8 टीमें तलाश रही हैं। ताबड़तोड़ छापेमारी हो रही है।उसपर 25 हजार का इनाम रख दिया गया है।

श्रीकांत त्यागी के पास कहां से आया इतना पावर

श्रीकांत ने आज कोर्ट में सरेंडर की अर्जी लगाई थी, जो खारिज हो गई। श्रीकांत नोएडा की बड़ी सोसायटी में रहता था और उसका ऑफिस नोएडा के भंगेल में है जहां से वो अपना नेटवर्क ऑपरेट करता है। श्रीकांत त्यागी को दिखावे का बड़ा शौक था। पहले उसने भंगेल में अपना ऑफिस खोला, यहीं से राजनीति शुरू की लेकिन जब श्रीकांत के चाचा ने इस पर विरोध जताया, तो उसने अपना दफ्तर का पता बदल दिया। श्रीकांत त्यागी की पावर का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि वो फरार है, पुलिस उसकी तलाश कर रही है, बावजूद इसके रात के अंधेरे में त्यागी के गुंडे उसी सोसायटी में आते हैं, जहां पर सुरक्षा की गारंटी खुद सांसद महेश शर्मा ने दी है। वहां पर त्यागी के गुंडे उस महिला का पता पूछ रहे थे, जिसने श्रीकांत त्यागी का विरोध किया था। इतना साफ है श्रीकांत त्यागी कोई छोटा मोटा गुंडा नहीं है। बल्कि उसका अच्छा खासा नेटवर्क है। 

खासा टाइट रहता था श्रीकांत त्यागी का भौकाल
श्रीकांत त्यागी खुद को व्हाइट कॉलर वाले नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करता था। पॉश इलाके में किराए के मकान में पॉलिटिकल मीटिंग्स किया करता था। बड़े-बड़े नेताओं को बुलाता था। दस बीस नहीं, पचासों गाड़ियों के काफिले के साथ लोग उससे मिलने आते थे। कोई रास्ता न भटके, सही लोकेशन पर पहुंचे, इसके लिए श्रीकांत त्यागी ने दबंग स्टाइल में बाकायदा होर्डिंग्स लगवा रखी थीं। श्रीकांत त्यागी का भौकाल कितना टाइट था, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि नोएडा सेक्टर 92 के B-148 में उसके घर में एंट्री से पहले पुलिस बैरिकेडिंग, पुलिस पिकेट सबके इंतज़ाम होते थे। बूम बैरियर लगाए जाते थे, बाकायदा मेटल डिटेक्टर से चेकिंग हुआ करती थी। बिना चेकिंग के किसी को एंट्री की इजाजत नहीं थी। सिक्योरिटी के लिए स्निफ़र डॉग्स की भी तैनाती थी। दबंग त्यागी की सियासी मीटिंग्स घंटे दो घंटे नहीं, रात के 2-2 बजे तक चला करती थीं और आस-पास रहने वाले किसी पड़ोसी की मजाल नहीं थी कि एक बार जाके सड़क पर खड़े गाड़ियों को हटाने तो कह सके।

नोएडा में श्रीकांत का खुद का एक मार्केट
श्रीकांत त्यागी लाख दो लाख में नहीं खेलता था, कई-कई लाख की कमाई करता था। उन्हीं पैसों के दम पर दबंगई करता था। त्यागी की आठ लाख रुपये महीने की आमदनी है। श्रीकांत का नोएडा के भंगेल में एक बड़ा मार्केट है। वहीं से आठ लाख रुपये महीने का किराया आता है। वो खुद वहां नहीं जाता, किराया वसूलने के लिए अपने लोगों को भेजता है। इतना ही नहीं नोएडा अथॉरिटी में भी श्रीकांत त्यागी का सिक्का चलता था। तभी तो उसने एक पॉश सोसाइटी में सिस्टम को ठेंगा दिखाकर अवैध निर्माण करवा डाला और उसपर कोई एक्शन नहीं हुआ। मोटी आमदनी वाला श्रीकांत गनर का रौब दिखाकर जीटी रोड और यमुना एक्सप्रेस-वे पर बने टोल प्लाजा से फ्री में गाड़ियों का काफिला लेकर भी निकला करता था। 

त्यागी पर पहले से दर्ज हैं 7 और मुकदमे
श्रीकांत त्यागी के खिलाफ ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी मामले से पहले भी 7 अलग अलग मुकदमे दर्ज हैं। श्रीकांत त्यागी के खिलाफ पहला मुकदमा साल 2007 में IPC 387 के तहत नोएडा के फेस 2 पुलिस स्टेशन में ही दर्ज हुआ था। इसके बाद त्यागी के खिलाफ साल 2007 में ही 3/4 गुंडा अधिनियम के तहत मुकदमा नोएडा के फेस 2 पुलिस स्टेशन में ही दर्ज हुआ। तीसरा साल 2008 में नोएडा के सेक्टर 39 के पुलिस स्टेशन में IPC 323, 325, 506, 427, 308 के तहत दर्ज किया गया। चौथा मुकदमा उसके खिलाफ साल 2009 में IPC 147, 336, 427, 504 और 7 कि. ला. एक्ट के तहत दर्ज किया गया।  पांचवा मुकदमा IPC 147, 148, 336, 341, 427, 7 कि. ला. एक्ट और 2/3 क्षति निवारण अधिनियम के तहत साल 2009 में त्यागी के खिलाफ रजिस्टर्ड हुआ। इसके बाद छठी FIR त्यागी के खिलाफ साल 2015 में IPC 147, 315 और 506 के तहत दर्ज की गई। सातवीं फिर त्यागी के खिलाफ साल 2020 में नोएडा के फेस 2 थाने में IPC 323, 504, 506, 307 दर्ज हुई। आठवीं और नौवीं FIR ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी मामले में त्यागी के खिलाफ दर्ज की गई।

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