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Aligarh Muslim University: कौन थे अबुल आला मौदूदी, AMU में इनसे जुड़े विषय को हटाने के बाद हो रहा है बवाल

Aligarh Muslim University: एएमयू के इस्लामिक स्टीज विभाग से अबुल आला मौदूदी और सैय्यद कुतुब को हमेशा के लिए सेलेबस बाहर कर दिया है। आपको बता दें कि ये विषय ऑप्शनल के रूप में कई सालों से पढ़ाया जा रहा था। इसी विषय को लेकर कई दक्षिणपंथी स्कॉलर्स ने भारत के प्रधानमंत्री से एक पत्र लिखा था।

Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 04, 2022 17:10 IST
Abul A'la Maududi- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Abul A'la Maududi

Highlights

  • दक्षिणपंथी स्कॉलर्स ने भारत के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था
  • अबुल मौदूदी कट्टरवाद से काफी प्रेरित थे
  • अबूल का जन्म महाराष्ट्र के औरगांबाद में हुआ था

Aligarh Muslim University: उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी हमेशा सुर्खियों में छाया रहता है। इस बार ये विश्वविधालय फिर से चर्चा में बन गया है। इस बार क्या है मुख्य वजह आपको हम आज पूरी जानकारी देंगे। एएमयू के इस्लामिक स्टीज विभाग से अबुल आला मौदूदी और सैय्यद कुतुब को हमेशा के लिए सेलेबस बाहर कर दिया है। आपको बता दें कि ये विषय ऑप्शनल के रूप में कई सालों से पढ़ाया जा रहा था। इसी विषय को लेकर कई दक्षिणपंथी स्कॉलर्स ने भारत के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था। ये एक ओपन पत्र था.। इस पत्र में लिखा गया था कि इस्लामिक स्कॉलर मौलाना अबुल मौदूदी कट्टरवाद से काफी प्रेरित थे ऐसे व्यक्ति के बारे में पढ़ाना उचित नहीं है। इनके लेखन और विचारों को हमेशा के लिए विषय के रूप से हटा देना चाहिए।

विश्वविधालय प्रशासन और छात्र ने क्या कहा?

विश्वविधालय के एक प्रोफेसर ने इस विषय को हटाने की पुष्टि करते हुए बताया कि ये एक इस्लामिक स्टडीज में एक ऑप्शनल पेपर था जिसे हटा लिया गया है। जब प्रोफेसर से पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री के लेटर लिखने के बाद इस फैसले को लिया गया है तो इस पर प्रोफेसर ने बताया कि हमें इसके बार में जानकारी नहीं है। हमने अखबारों और चैनलों पर विवाद को बढ़ते हुए देखा था। इसलिए हम सभी ने फैसला किया कि इस विषय को हटा दिया जाए। वहीं इस संबंध में विश्वविधालय के छात्रों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के लेटर से किसी विषय को हटाना देना ये सही नहीं है। किसी भी विश्वविधालय से विषय को हटाने के लिए प्रोपर एक प्रोसेस होता है, अगर लेटर के लिखने के बाद ऐसा कदम उठाया गया है तो ये गलत है। मुस्लिम छात्रों ने इस विषय को हटाने के बाद कड़ी आपत्ती जताई है।

कौन हैं अबुल आला मौदूदी

अबूल का जन्म महाराष्ट्र के औरगांबाद में हुआ था। देश बटवांरा से पहले 1941 में उन्होंने लहौर में जमात-ए-इस्लामी नामक एक संगठन की स्थापना की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि वे कभी नहीं चाहतें थे कि भारत का विभाजन हो। इस विभाजन के खिलाफ थे। लेकिन आजादी मिलने के बाद भारत को छोड़ पाकिस्तान में जा बसें। उन्होंने 24 साल के उम्र में अपनी पहली किताब अल-जिहाद फिल इस्लाम लिखी थी।

पाकिस्तान में उन्होंने कई कोशिश बार किया कि इस्लामी कानून को लागू कर दिया जाए लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उन्हें बार-बार जेल में डाल दिया करती थी। कुछ सालों के बाद अबूल 1979 में देश छोड़कर अमेरिका चले गए। वही उनकी मौत हो गई और उन्हें लाहौर में दफन किया गया था।

 

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