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Court on Corona: कोरोना पीड़ित मरीजों की मौत का कारण कुछ भी हो परिजनों को देना पड़ेगा मुआवजा : कोर्ट

Court on Corona: कोर्ट ने कहा- 'यह दलील कि मेडिकल रिपोर्ट में मृत्यु की वजह हृदय गति रुकना या कोई अन्य कारण है और कोविड-19 से मृत्यु नहीं है, हमारे गले नहीं उतरता। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का कोई भी अंग चाहे वह फेफड़ा हो या हृदय संक्रमण से प्रभावित हो सकता है और उसकी मृत्यु हो सकती है।'

Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Jul 31, 2022 13:56 IST, Updated : Jul 31, 2022 13:56 IST
Allahabad High Court
Image Source : FILE PHOTO Allahabad High Court

Highlights

  • यह दलील कि मृत्यु की वजह हृदय गति रुकना या कोई अन्य कारण है गले नहीं उतरता: कोर्ट
  • कोरोना से संक्रमित व्यक्ति का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है और उसकी मृत्यु हो सकती है: कोर्ट
  • कोरोना पीड़ित मरीजों की मौत का कारण कुछ भी हो परिजनों को देना पड़ेगा मुआवजा : कोर्ट

Court on Corona: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 के मरीज के तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो उसकी मृत्यु हृदय गति रुकने से हो या किसी अन्य कारण से, यह मृत्यु कोविड-19 से हुई मृत्यु मानी जाएगी और सरकार को मृतक के परिजनों को मुआवजा देना ही होगा । कुसुम लता यादव और कई अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों को कोविड-19 से मृत लोगों पर आश्रित परिजनों को अनुग्रह राशि एक महीने के भीतर देने का निर्देश दिया और भुगतान में विफल रहने पर नौ प्रतिशत की दर से ब्याज सहित भुगतान करने को कहा। 

'कोरोना पीड़ित व्यक्ति का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है'

अदालत ने कहा, 'हम पाते हैं कि अस्पताल में कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु, जांच में पूरी तरह से खरी उतरती है। यह दलील कि मेडिकल रिपोर्ट में मृत्यु की वजह हृदय गति रुकना या कोई अन्य कारण है और कोविड-19 से मृत्यु नहीं है, हमारे गले नहीं उतरता। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का कोई भी अंग चाहे वह फेफड़ा हो या हृदय संक्रमण से प्रभावित हो सकता है और उसकी मृत्यु हो सकती है।' अदालत ने 25 जुलाई, 2022 के अपने निर्णय में निर्देश दिया कि प्रत्येक याचिकाकर्ता जिनके दावे यहां स्वीकार किए गए हैं, वे 25,000-25,000 रुपये मुआवजा पाने के हकदार होंगे। 

उपबंध (provision) 12 को दी गई चुनौती 

उल्लेखनीय है कि इन याचिकाकर्ताओं ने एक जून, 2021 के सरकारी आदेश के उपबंध 12 को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उपबंध मुआवजे का भुगतान रोकने वाला है क्योंकि संक्रमित मरीज की मृत्यु अगर 30 दिन के भीतर होती है तभी मुआवजा दिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस शासकीय आदेश का उद्देश्य उन परिवारों को मुआवजा देना है जिसका रोजी-रोटी कमाने वाला सदस्य पंचायत चुनाव के दौरान कोविड-19 की वजह से मर गया है। राज्य के अधिकारियों ने यह माना कि याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु कोविड-19 से हुई, लेकिन उपबंध 12 की वजह से मुआवजे का भुगतान रोका गया है। अदालत को बताया गया कि अक्सर देखा गया है कि संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु 30 दिनों के बाद भी हुई। 

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