Highlights
- वाराणसी में रोपवे निर्माण के लिए नहीं मिल रहे निवेशक
- कैंट से गिरिजाघर तिराहे तक रोपवे परियोजना प्रस्तावित है
- चार-पांच महीनों में कई बार जारी हुआ टेंडर
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी 2014 से लेकर अब तक काफी बदल चुका है। गंगा के घाट बदल चुके हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर का रूप बदल चुका है। शहर की सड़कें और इसके साथ ही काशी में बहुत विकास कार्य हुए हैं। हर दिन बदलती काशी ने देश-दुनिया को अपनी तरफ काफी आकर्षित है। परंतु आश्चर्य की बात यह है कि बदलती काशी की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना 'रोपवे' के निर्माण के लिए कोई इंवेस्टर नहीं मिल पा रहा है। करीब 8 महीने पहले सर्वे और 6 महीने पहले निविदा जारी होने के बाद चार से पांच महीनों में कई बार टेंडर जारी हो चुका है, परंतु कोई भी इस परियोजना में निवेश करने तैयार नहीं हुआ।
बता दें, कैंट से गिरिजाघर तिराहे तक रोपवे परियोजना प्रस्तावित है। रोपवे परियोजना की प्री बिड में सात फर्म सामने आई थी और चार के मालिकों ने लिखित रूप से काम करने की इच्छा जताई थी, मगर कुछ समय बाद कंपनियों ने अपना हाथ खींच लिया।
अब रोपवे निर्माण में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए विकास प्राधिकरण इसके डिजाइन में बदलाव कर रही है। ताकी जल्द से जल्द अड़चनों को दूर कर काम शुरू कराया जा सके। क्योंकि इससे काशी के लोगों को स्काई टूरिज्म की सुविधा के साथ-साथ जाम से भी निजात मिलने वाली है।