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Uttar Pradesh: योगी सरकार ने बड़ा प्रस्ताव किया पेश, गंभीर अपराध के आरोपियों को अब नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत

Uttar Pradesh: प्रस्ताव के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य अग्रिम जमानत के प्रावधान के संबंध में सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन करना है ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत मिलने से रोका जा सके।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Sep 23, 2022 13:41 IST, Updated : Sep 23, 2022 13:41 IST
Yogi Adityanath
Image Source : FILE PHOTO Yogi Adityanath

Highlights

  • अपराध के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति
  • उत्तर प्रदेश में कन्विक्शन रेट सबसे ज्यादा
  • योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधानसभा में मौजूदा विधेयक में संशोधन किया पेश

Uttar Pradesh: एक बड़े घटनाक्रम में, बच्चों और महिलाओं के यौन उत्पीड़न समेत गंभीर अपराधों के आरोपी अपराधियों को अब उत्तर प्रदेश की अदालतों से अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस संबंध में यूपी विधानसभा में मौजूदा विधेयक में संशोधन पेश किया है।

CRPC की धारा-438 में संशोधन करना है

प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों के अलावा, गैंगस्टर एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, ऑफिशियल सीकेट्र्स एक्ट और मृत्युदंड का प्रावधान रखने वाले अभियुक्तों को अदालतों से अंतरिम राहत के रूप में अग्रिम जमानत नहीं लेने देंगे।

प्रस्ताव के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य अग्रिम जमानत के प्रावधान के संबंध में सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन करना है ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराध करने वालों को अग्रिम जमानत मिलने से रोका जा सके।

अपराध के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति

ऐसा अपराधों के आरोपियों को सबूतों से छेड़छाड़ करने या उन्हें नष्ट करने या पीड़ितों को डराने-धमकाने से रोकने के लिए किया गया है। प्रस्ताव के उद्देश्य में कहा गया है कि यह महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के खिलाफ अपराध के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति के अनुसरण में, जैविक साक्ष्य एकत्र करने, सबूतों को नष्ट होने से रोकने और पीड़ित या प्रत्यक्षदर्शियों को डराने-धमकाने से रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है।

बता दें कि यदि संशोधन किया जाता है तो यह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोस्को) अधिनियम, 2012 और बलात्कार की सभी धाराओं पर भी लागू होगा।

उत्तर प्रदेश में कन्विक्शन रेट सबसे ज्यादा

गौरतलब हैं कि एनसीआरबी की रिपोर्ट 2021 बताती है कि उत्तर प्रदेश में दोषसिद्धि दर (conviction rate) देश के अधिकांश अपराधों में सबसे ज्यादा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 2019 की तुलना में 2021 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में क्रमश: 6.2 फीसदी और 11.11 फीसदी की गिरावट आई है। वर्ष 2019 में राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 59,853 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में घटकर 56,083 हो गए। इसी तरह, 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 18,943 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में घटकर 16,838 रह गए।

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