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Uttar Pradesh: UP में अब शव रखकर विरोध प्रदर्शन करना हुआ अपराध, अंतिम संस्कार के लिए जारी की गई एसओपी

Uttar Pradesh: परिजनों को विरोध के निशान के रूप में किसी भी स्थान पर शव रखने की अनुमति नहीं होगी। ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले किसी भी संगठन को भी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Sep 25, 2022 14:47 IST, Updated : Sep 25, 2022 14:53 IST
Protest with dead body is now crime in UP- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Protest with dead body is now crime in UP

Highlights

  • विरोध के रूप में किसी भी स्थान पर शव रखने की अनुमति नहीं होगी
  • ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा
  • मृतक के परिवार को लिखित में अपनी स्वीकृति देनी होगी

Uttar Pradesh: यूपी (UP) में सड़क पर शव रखकर विरोध प्रदर्शन करना अब अपराध की श्रेणी में आ गया है। उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने आपराधिक घटनाओं या दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों के शवों के दाह संस्कार के संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है। लोगों को अब सड़कों पर शव रखने और विरोध में यातायात अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं होगी। ऐसा करना अब दंडनीय अपराध (Punishable Crime) होगा।

'शव रखकर प्रदर्शन करना मृतक का अपमान'

गृह विभाग के प्रवक्ता के अनुसार, इस संबंध में एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर एसओपी आता है।प्रवक्ता ने कहा, "जो कोई भी सार्वजनिक स्थान या सड़क पर शव रखता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि यह मृतक का अपमान है।"

परिजनों को अब लिखित में देना होगा स्वीकृति

एसओपी के अनुसार, जब मृतकों के परिवारों को पोस्टमार्टम के बाद शव सौंपे जाते हैं, तो उन्हें लिखित में देना होगा कि वे शव को सीधे अपने घर ले जाएंगे और उसके बाद श्मशान में दफन करेंगे। उन्हें विरोध के निशान के रूप में किसी भी स्थान पर शव रखने की अनुमति नहीं होगी। ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले किसी भी संगठन को भी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

होगी पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी

ऐसे मामलों में जहां रात में दाह संस्कार होता है, मृतक के परिवार को लिखित में अपनी स्वीकृति देनी होगी और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। संबंधित परिवार और जिला प्रशासन के बीच आदान-प्रदान किए गए किसी भी संदेश को एक वर्ष के लिए रिकॉर्ड के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

यह फैसला सितंबर 2020 की मध्यरात्रि में हाथरस पीड़िता के दाह संस्कार को लेकर हुए आक्रोश के बाद आया है। ऐसे मामलों में जहां परिवार शव लेने से इनकार करता है, स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाएगा और जिला मजिस्ट्रेट मृतक के दाह संस्कार/दफन के बारे में फैसला करेंगे।

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