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Uttar Pradesh: ज्ञानवापी मामले को लेकर पाकिस्तान से आई धमकी, मामला दर्ज

Uttar Pradesh: आर्य ने मीडिया से कहा कि उन्हें पाकिस्तान के एक मोबाइल नंबर से कोई कॉल कर धमका रहा है। उन्होंने कहा, "कॉलर राजस्थान में उदयपुर के कन्हैया लाल की तरह 'सर तन से जुदा' करने की धमकी दे रहा है।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: August 18, 2022 10:04 IST
Representational Image- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Representational Image

Highlights

  • पाकिस्तानी नंबर से कोई कॉल कर धमका रहा
  • केस वापस लेने के लिए बना रहा दबाव
  • उसी पाकिस्तानी नंबर से 19 मार्च और फिर 20 जुलाई को कॉल आए

Uttar Pradesh: श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में एक वादी के पति ने वाराणसी पुलिस में FIR दर्ज कराकर दावा किया है कि उसे पाकिस्तान के नंबर वाले एक अज्ञात कॉलर से सर तन से जुदा करने की धमकी मिली है। श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले की सुनवाई गुरुवार से जिला जज की अदालत में शुरू हो गई है। शिकायत मिलने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकाने की FIR दर्ज हुई है।

पाकिस्तानी नंबर से कोई कॉल कर धमका रहा

लक्सा पुलिस स्टेशन अधिकारी (SO), अनिल साहू ने कहा, "हमने सोहन लाल आर्य से शिकायत मिलने के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकाने की FIR दर्ज की है।" आर्य ने मीडिया से कहा कि उन्हें पाकिस्तान के एक मोबाइल नंबर से कोई कॉल कर धमका रहा है। उन्होंने कहा, "कॉलर राजस्थान में उदयपुर के कन्हैया लाल की तरह 'सर तन से जुदा' करने (सिर काटने) की धमकी दे रहा है। साथ ही फोन करने वाला हम पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए गंभीर परिणाम की धमकी दे रहा है।

वादी के पास आए कई कॉल

आर्य ने दावा किया कि उन्हें उसी पाकिस्तानी नंबर से 19 मार्च और फिर 20 जुलाई को कॉल आए। आर्य ने कहा, "इसके अलावा, 3 अगस्त की एक मिस्ड कॉल भी कॉल लिस्ट में है, जिस पर लक्ष्मी देवी ने ध्यान दिया था।" सोहन लाल आर्य लक्ष्मी देवी के पति हैं, जो 693/2021 राखी सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य के मामले में पांच वादी में से एक हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए अदालत का रुख किया है। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मामले की सुनवाई चल रही है।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि मूल वाद वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दायर किया गया था जिसमें उस स्थान पर जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, प्राचीन मंदिर को बहाल करने का अनुरोध किया गया है। इस वाद में दलील दी गई है कि कथित मस्जिद उस मंदिर का हिस्सा है। इससे पूर्व, आठ अप्रैल, 2021 को वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को काशी विश्वनाथ मंदिर- ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद का निर्माण करने के लिए मंदिर को ध्वस्त किया गया था।

बता दें कि सर्वे टीम को सर्वे के आखिरी दिन 16 मई को वजूखाने से एक स्ट्रक्चर मिला था जो दिखने में शिवलिंग जैसा था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि ये ज्ञानवापी का शिवलिंग है जो मंदिर में मौजूद था जिसे मस्जिद में छिपा दिया गया। कहानी में तब पेंच फंस गया जब मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग के स्ट्रक्चर को फव्वारा बताया लेकिन अब उसी पर हिंदू पक्ष का दावा है कि वो शिवलिंग है लेकिन उसे फव्वारा बनाया गया है एक बड़ी साजिश के तहत और उसके सबूत भी मौजूद है।

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