उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए राज्य की योगी सरकार तमाम कोशिशें करती दिख रही है। आरोपी को दोषी और दोषी को सजा दिलाने तक पुलिस को तमाम प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। किसी के गिफ्तारी के लिए वारंट से लेकर उसकी सजा की सुनवाई तक पुलिस कोर्ट जाना पड़ता है। अपराधियों को पुलिस जेल में रखती है और सुनवाई की तारीख पर उन्हें जेल से कोर्ट ले जाती है। लेकिन अब जेल से कोर्ट जाने पर रोक लग सकती है। अब पुलिस अपराधियों को जेल से ही कोर्ट में पेश कर सकेगी।
नई तकनीक से अपराधी जेल से बाहर जाए बिना भी हो सकेंगे कोर्ट में पेश
योगी सरकार ने आरोपियों और अपराधियों की पेशी से लेकर ट्रायल तक जेल में ही कराए जाने को लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं। इससे पुलिस को ट्रायल और सुनवाई के लिए अपराधियों को जेल से बाहर नहीं ले जाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि वर्तमान समय में जेल में बंद अपराधियों की पेशी और ट्रायल को वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने के लिए यूपी की 72 जेल और 73 कोर्ट में एक-एक अतिरिक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष के निर्माण की जरूरत है। ऐसे में इनका जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए।
पेशी के दौरान अपराधी अपने गुर्गों से मिलकर बनाते हैं साजिश
बैठक में सीएम योगी ने कहा कि, जेल में बंद खतरनाक किस्म के अपराधियों को जब से कोर्ट में पेश किया जाता है तब काफी खर्चा आता है। उनकी सुरक्षा में काफी ज्यादा पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों को तैनात किया जाता है। पेशी के दौरान वे अपने गुर्गों से मिलकर अपराध करने की साजिश भी रचते हैं। जिससे वो जेल में भी बैठकर अपना साम्राज्य चलाते रहते हैं। लेकिन अगर इनकी पेशी जेल में रहकर ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हो जाये तो यह सब रुक जाएगा। इसमें ज्यादा खर्चा भी नहीं आएगा और अपराधियों एक जगह से दूसरी जगह भी नहीं ले जाना पड़ेगा।
वीडियो कांफ्रेंसिग के लिए इस्तेमाल होगी 5G तकनीक
सीएम योगी ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए जेलों तथा न्यायालयों में 5जी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाए ताकि पेशी और ट्रायल के दौरान कनेक्टिविटी में कोई प्रॉब्लम ना हो। इसके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम के लिए अलग से बजट आवंटित किया जाए, जिससे सिस्टम को समय-समय पर अपग्रेड किया जा सके।