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Uttar Pradesh: यूपी में आया हैरान कर देने वाला मामला, डेढ़ साल से लाश के साथ रह रहा था एक परिवार

Uttar Pradesh: पुलिस ने बताया कि शव पूरी तरह सड़ चुका था। एक अधिकारी ने कहा कि दीक्षित की पत्नी मानसिक रूप से कमजोर प्रतीत होती है।

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Sep 24, 2022 7:33 IST, Updated : Dec 15, 2022 23:54 IST
A family was living with the dead body in Kanpur
Image Source : INDIA TV A family was living with the dead body in Kanpur

Highlights

  • कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई थी मौत
  • परिवार के लोग जिंदा होने का कर रहे थे दावा
  • ऑक्सीमीटर की वजह से परिवार वालों को हुई गलतफहमी

Uttar Pradesh: कानपुर के रावतपुर इलाके में पिछले साल अप्रैल में एक निजी अस्पताल में मृत व्यक्ति के परिजनों ने उसके शव को अपने घर में यह समझ कर इतने दिन रखा कि वह कोमा में है, और जिंदा है। मृतक की पहचान आयकर विभाग में कार्यरत विमलेश दीक्षित के रूप में हुई है। घटना का पता शुक्रवार को तब चला जब पुलिसकर्मी और मजिस्ट्रेट, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक मामले की जांच के लिए व्यक्ति के घर पहुंचे और उन्हें वहां शव मिला।

परिवार के लोग जिंदा होने का कर रहे थे दावा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने बताया, ‘‘विमलेश दीक्षित की पिछले साल 22 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी, लेकिन परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए अनिच्छुक था क्योंकि उनका मानना था कि दीक्षित कोमा में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कानपुर के आयकर अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया था, जिन्होंने इस मामले की जांच का अनुरोध किया था।’’ सीएमओ ने कहा कि जब मेडिकल टीम उनके घर पहुंची तो परिवार के सदस्य इस बात पर जोर दे रहे थे कि विमलेश जिंदा है और कोमा में है। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विमलेश की हालत बिगड़ी तो परिजन लखनऊ और फिर कानपुर लेकर आए। 22 अप्रैल 2021 को बिरहना रोड के एक हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया। 23 अप्रैल को परिजन अंतिम संस्कार करने जा रहे थे तो उन्हें बॉडी में हरकत का एहसास हुआ।

परिवार वालों ने शव की खूब देखरेख की

परिवार वालों ने ऑक्सीमीटर लगाकर देखा तो पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल बताने लगा। तब परिवार ने अंतिम संस्कार करने की बजाए फिर हॉस्पिटल में एडमिट कराने की कोशिश की, लेकिन कोविड महामारी के कारण पूरे शहर में खलबली मची हुई थी इसलिए किसी भी हॉस्पिटल ने उन्हें एडमिट नहीं किया। इसके बाद से बैंक अफसर पत्नी, पिता, मां और साथ में रहने वाले दो भाई सेवा में लग गए। डेढ़ साल तक घर में शव रखे रहे और आयकर विभाग की टीम उनकी जांच करने घर पहुंची तो कल यानी 23 सितंबर 2022 को मौत का खुलासा हुआ।

पत्नी हर दिन झिड़कती थी गंगाजल

बहुत समझाने पर परिजनों ने स्वास्थ्य टीम को शव को लाला लाजपत राय (एलएलआर) अस्पताल ले जाने की अनुमति दी, जहां चिकित्सकीय जांच में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सीएमओ ने कहा कि मामले की जांच करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए डॉ एपी गौतम, डॉ आसिफ और डॉ अविनाश की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विमलेश की पत्नी हर सुबह शव पर ‘गंगाजल’ छिड़कती थी, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि ऐसा करने से उन्हें ‘कोमा’ से बाहर निकालने में मदद मिलेगी।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई थी मौत

अधिकारी ने कहा कि परिवार ने अपने पड़ोसियों को भी बताया था कि विमलेश ‘कोमा’ में हैं। पड़ोसियों में से एक ने पुलिस को बताया, ‘‘परिवार के सदस्यों को अक्सर ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते देखा था।’’ पुलिस ने बताया कि शव पूरी तरह सड़ चुका था। एक अधिकारी ने कहा कि दीक्षित की पत्नी मानसिक रूप से कमजोर प्रतीत होती है। कानपुर पुलिस ने एक बयान में कहा कि निजी अस्पताल ने मृत्यु प्रमाण पत्र में कहा था कि विमलेश दीक्षित की मृत्यु 22 अप्रैल, 2021 को अचानक दिल का दौरा के कारण हुई थी। 

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