Highlights
- यूपी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से नेता प्रतिपक्ष का पद छिन गया है।
- उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या घटकर 9 रह गई है।
- 100 सदस्यीय विधान परिषद में मौजूदा समय में बीजेपी के 72 सदस्य हैं।
UP Vidhan Parishad: उत्तर प्रदेश की सियासत में खास दखल रखने वाली समाजवादी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। यूपी विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त होने के बाद समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या राज्य विधायिका के ऊपरी सदन में घटकर 10 के नीचे आ गई है। इसकी वजह से पार्टी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा है। सियासी जानकार इसे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए भी एक बड़ा झटका बता रहे हैं।
सपा सदस्यों की संख्या घटकर 9 हुई
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह द्वारा गुरुवार को जारी एक बयान के मुताबिक, ‘27 मई को विधान परिषद में सपा 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी और साथ ही कोरम हेतु भी सक्षम थी। इसकी वजह से पार्टी के सदस्य लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता प्रदान की गई थी। 7 जुलाई को विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या घटकर 9 रह गई, जो 100 सदस्यीय विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली के अनुसार गणपूर्ति की संख्या-10 से कम है।’
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लाल बिहारी अब नहीं रहे नेता प्रतिपक्ष
सिंह ने आगे कहा, ‘इसलिए विधान परिषद के सभापति ने मुख्य विरोधी दल सपा के लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली मान्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है। हालांकि, उनकी सदन में सपा के नेता के तौर पर मान्यता बरकरार रहेगी।’ विधान परिषद में सपा के नेता लाल बिहारी यादव ने शुक्रवार को सभापति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘विधान परिषद के सभापति द्वारा नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना गैर कानूनी, नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है।’
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‘नेता प्रतिपक्ष पूरे विपक्ष का नेता होता है’
लाल बिहारी यादव ने एक बयान में नियमों का हवाला देते हुए सभापति के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि ‘नेता प्रतिपक्ष सदन में पूरे विपक्ष का नेता होता है। समाजवादी पार्टी बड़ी पार्टी है; लेकिन नियमों का गलत हवाला देकर नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना लोकतंत्र को कमजोर एवं कलंकित करने वाला कदम है। यह सदन में विपक्ष की आवाज को दबाने और कमजोर करने की साजिश है। सभापति जी का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या और नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाला प्रतीत होता है।’
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गुरुवार को 12 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हुआ
बता दें कि गुरुवार को विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो गया। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष का पद भी समाप्त कर दिया गया। विधान परिषद के विशेष सचिव ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। कार्यकाल पूरा करने वाले सदस्यों में जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुंदर दास निषाद, शतरुद्र प्रकाश, अतर सिंह राव, दिनेश चंद्रा, सुरेश कुमार कश्यप और दीपक सिंह शामिल हैं। इनका स्थान 7 जुलाई से रिक्त घोषित कर दिया गया है।
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विधान परिषद में बीजेपी के कुल 72 सदस्य
विधान परिषद के कुल 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया है। इनमें उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह भी शामिल हैं, लेकिन इन दोनों की हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव में जीत के बाद सदन में वापसी हुई है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के 6, बहुजन समाज पार्टी के 3 तथा कांग्रेस के एकमात्र सदस्य का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो गया। प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में मौजूदा समय में बीजेपी के 72 सदस्य हैं। इसके अलावा मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के 9 सदस्य हैं। सदन में बहुमत का आंकड़ा 51 सीटों का है।