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यूपी निकाय चुनाव: OBC आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची योगी सरकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना OBC आरक्षण के कराने का आदेश दिया था।

Reported By : Gonika Arora Edited By : India TV News Desk Updated on: December 29, 2022 17:54 IST
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Image Source : PTI FILE योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के फैसले को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यूपी सरकार ने अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के फैसले पर विचार करने को कहा है। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना OBC आरक्षण के कराने का आदेश दिया था। इसके साथ ही बेंच ने राज्य सरकार एवं राज्य चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि OBC सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटें मानते हुए स्थानीय निकाय चुनाव को 31 जनवरी, 2023 तक संपन्न करा लिया जाए।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील में क्या कहा?

राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा है कि हाई कोर्ट 5 दिसंबर के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द नहीं कर सकता है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए शहरी निकाय चुनावों में सीटों का आरक्षण प्रदान किया गया था। राज्य के लिए ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ रुचिरा गोयल के माध्यम से दायर अपील में कहा गया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग संवैधानिक रूप से संरक्षित वर्ग है और हाई कोर्ट ने मसौदा अधिसूचना को रद्द करके गलती की है।

योगी ने पहले ही कही थी सुप्रीम कोर्ट जाने की बात
बता दें कि हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद ही योगी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार नगर निकाय सामान्य चुनाव के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी, और बाद में सरकार ने आयोग का गठन भी किया। योगी ने कहा था कि OBC आरक्षण होने के बाद ही नगर निकाय चुनाव सम्पन्न कराया जाएगा। योगी सरकार ने तब कहा था कि जरूरत पड़ी तो फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे, और आज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी डाल दी।

योगी सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है विपक्ष
अदालत का फैसला आने के बाद विपक्षी दलों ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था कि ‘भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीना है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी।’ वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा था, 'उत्तर प्रदेश सरकार को उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना था, जो सही से नहीं हुआ। इस गलती की सजा ओबीसी समाज भाजपा को जरूर देगा।'

कांग्रेस ने भी साधा था योगी सरकार पर निशाना
बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया था कि BJP के गड़बड़ रवैये के कारण पिछड़ों का संवैधानिक अधिकार खत्म होने के कगार पर है। उन्होंने ट्वीट किया, 'जब भी सामाजिक न्याय व आरक्षण के समर्थन में पक्ष रखने की बात आती है, बीजेपी का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ जाता है। यूपी के नगरीय निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार के गड़बड़ रवैये से OBC वर्ग का महत्वपूर्ण संवैधानिक अधिकार खत्म होने की कगार पर है। नगरीय निकाय चुनावों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण का हक मिलना चाहिए। BJP का आरक्षण विरोधी रुख बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।'

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