Highlights
- UP STF की टीम ने PFI कार्यकर्ता को किया गिरफ्तार
- PFI कार्यकर्ता ने पूछताछ में कई और नाम भी बताए
- STF ने कार्यकर्ता से PFI और IS से जुड़े सामान जब्त किए
PFI के कार्यकर्ता अब्दुल मजीद को उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने गिरफ्तार किया है। अब्दुल मजीद पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। STF ने पूछताछ में कई अन्य सदस्यों के नाम बताए हैं। STF सूत्रों ने बताया कि अब्दुल मजीद के पास से PFI और IS से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जब्त किया गया है। STF के एक अधिकारी के मुताबिक अब्दुल मजीद काकोरी का रहने वाला है। उन्हें पहले आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जमानत पर रिहा होने के बाद वह PFI के लिए काम कर रहा था। इसकी सूचना जैसे ही STF को मिली, उसे विभूति खंड इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ एसटीएफ के इंस्पेक्टर ने विभूति खंड थाने में मामला दर्ज कराया है।
मुस्लिम युवकों को भड़काकर PFI में शामिल करवा रहा था
मिली जानकारी के मुताबिक अब्दुल मुस्लिम युवकों को भड़काकर PFI का नेटवर्क बढ़ा रहा था। उन्होंने लखनऊ के साथ-साथ बाराबंकी, बहराइच, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद और नोएडा में संगठन के नाम पर कई बैठकें की थीं।
देश भर में PFI के 106 सदस्य गिरफ्तार
एनआइए ने आतंकी फंडिंग और आतंकी साजिश के मामले में देश के विभिन्न राज्यों से अब तक पीएफआइ के 106 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। उनसे की गई पूछताछ के दौरान ही एनआइए ने उक्त खुलासे किए हैं। एनआइएए की छापेमारी में पीएफआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम, राष्ट्रीय सचिव, नसरुद्दीन एलमारम, पूर्व अध्यक्ष अबू बकर और केरल इकाई के अध्यक्ष सीपी मोहम्मद बशीर व दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परवेज अहमद जैसे पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि सरकार अब इस संगठन पर बैन लगा सकती है।
PFI का मकसद
भारत के लोगों में आतंक फैलाना, दहशत का माहौल पैदा करना था। इसके लिए हथियारों का इस्तेमाल करके आतंकी गतिविधि को अंजाम देना भी था। साथ ही साथ कालेज के प्रोफेसरों का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्या करना, टारगेट करके विभिन्न समूहों और स्थानों पर बम विस्फोट करना, आइएसआइएस का समर्थन करना और अन्य को इसके लिए तैयार करना, आम नागरिकों के दिल में आतंक का डर भरना था। धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों में शत्रुता पैदा करना, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्मों का इसके लिए इस्तेमाल करना था। ताकि भारत में आतंक की जड़ों को मजबूत किया जा सके।