UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर होने वाली सुनवाई शुक्रवार को होगी। बुधवार को हुई सुनवाई में सरकार की मांग थी कि मामला जल्द निस्तारित किया जाए। समय की कमी के चलते सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, इसलिए कोर्ट ने अगली सुनवाई गुरुवार को तय की थी।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने कोर्ट से इस मामले को जल्द निस्तारित करने का आग्रह किया है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।
'पिछड़ेपन से कोई लेना-देना नहीं'
बहस के दौरान बुधवार को याचियों की ओर से दलील दी गई कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट की दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी की ओर से ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।
बीते मंगलवार को सुनवाई के समय राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब, प्रति शपथपत्र में दाखिल कर दिए गए हैं। इस पर याचियों ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब मांगे जाने की गुजारिश की, जिसे कोर्ट ने नहीं माना।
अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव की संभावना
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव अगले साल मार्च अप्रैल के दौरान होने की संभावना है। हालांकि, दूसरी ओर आयोग हाई कोर्ट के फैसला का इंतजार कर रहा है। बताया जा रहा है कि आयोग ने चुनाव को लेकर अपनी ओर से तैयारियां पूरी कर ली है। कोर्ट का फैसला आ जाता है, तो आयोग एक से दो दिनों में भी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।