Highlights
- 22 अप्रैल, 2021 को हो गई थी विमलेश दीक्षित की मौत
- परिवार ने नहीं किया था विमलेश के शव का अंतिम संस्कार
- उसे कोमा में मानकर लगभग 18 महीने तक घर पर रखा
UP News: उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस ने एक ऐसी घटना की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया है, जिसमें एक परिवार 35 वर्षीय व्यक्ति के शव के साथ रह रहा था, जिसकी लगभग डेढ़ साल पहले कोविड -19 महामारी के दौरान मौत हो गई थी। संयुक्त पुलिस आयुक्त (जेसीपी) आनंद प्रकाश तिवारी ने मामले की जांच के लिए टीम का गठन किया है। उन्होंने बताया कि एडीसीपी (पश्चिम) लखन सिंह यादव टीम की अगुवाई करेंगे।
उन्होंने कहा, टीम का फोकस इस बात पर होगा कि शव को सड़ने से बचाने के लिए परिवार के सदस्यों ने क्या तरीका अपनाया और परिजनों ने शव को इतनी देर तक घर में किस मकसद से रखा। पुलिस मृतक के कार्यालय, बैंक और अन्य विभागों से भी संपर्क कर रही है। जेसीपी ने कहा, "यदि संबंधित विभाग आपराधिक जांच की मांग करता है, तो यह भी किया जाएगा, और यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।"
22 अप्रैल, 2021 को हो गई थी विमलेश की मौत
विमलेश दीक्षित की 22 अप्रैल, 2021 को अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। एक निजी अस्पताल द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था। आयकर विभाग के कर्मचारी के परिवार ने शव का अंतिम संस्कार नहीं किया और उसे कोमा में मानकर लगभग 18 महीने तक घर पर रखा। विमलेश का घर पर ही इलाज शुरू कर दिया गया। 4 दिनों में ही परिजनों ने ऑक्सीजन के लिए 9 लाख रुपए खर्च कर डाले। विमलेश के इलाज में परिजनों ने कुल 30 लाख रुपये खर्च किए और यह सब इलाज के नाम पर किया गया। पुलिस और लोगों को हैरान करने वाली बात यह है कि शव से बदबू नहीं आ रही थी और वह पूरी तरह से सड़ा हुआ नहीं था।
हर रोज 'गंगाजल' से साफ करते थे शरीर
परिजनों की मानें तो इस दौरान विमलेश के शरीर पर कोई पेस्ट या पदार्थ नहीं लगाया गया था। वे हर रोज विमलेश के शरीर को 'गंगाजल' से साफ करते थे और उसके कपड़े भी हर दो से तीन दिन में बदल दिए जाते थे। लोगों को इस अजीबोगरीब घटना के बारे में तब पता चला जब 23 सितंबर को स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम पुलिसकर्मियों और मजिस्ट्रेट के साथ रावतपुर इलाके में व्यक्ति के घर पहुंची।
परिवार के सदस्यों को ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते देखते थे लोग
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रंजन के अनुसार, जब आयकर विभाग ने परिवार के सदस्यों को सूचित किया कि विमलेश पिछले डेढ़ साल से कार्यालय नहीं आ रहा है और उनके ठिकाने के बारे में पूछताछ की, तो उन्होंने जोर देकर कहा कि वह जीवित है और कोमा में है। पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि परिवार के सदस्यों को अक्सर ऑक्सीजन सिलेंडर घर ले जाते देखा जाता है। पुलिस ने कहा कि दीक्षित की पत्नी मानसिक रूप से बीमार है।