Highlights
- 'मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक़ है'
- 'अभी तक सर्वे अच्छे से हुआ है'
- 'मदरसों के अंदर हम अपनी मस्जिदों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं'
UP News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों के सर्वे कराये जाने के बीच देवबंद के दारूल-उलूम में आज उत्तर प्रदेश के ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। इस बैठक में सरकार द्वारा मदरसों में करवाए जा रहे सर्वे को लेकर चर्चा हुई। बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता की गई। जिसमें बैठक में हुई चर्चा और लिए गए फैसलों के बारे में बताया गया।
'मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक़ है'
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अरशद मदनी ने बताया कि, ये बैठक कोई नई बात नहीं है। ऐसी बैठके साल में 2-4 बार बुलाई जाती हैं। वहीं सरकार द्वारा कराये जा रहे सर्वे को लेकर उन्होंने कह कि, मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक़ है। अगर कोई सर्वे करने आता है तो उसकी मदद करनी चाहिए। अभी तक जहां भी सर्वे हुआ है वहां से कुछ भी नकारात्मक खबर सामने नहीं आई है। सर्वे अच्छे से हुआ है।
'मदरसों के अंदर हम अपनी मस्जिदों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं'
मदनी ने बताया कि, "आज की मीटिंग में हमने बताया कि इस्लाम में मदरसों को लेकर क्या बताया गया है, मदरसों को क्यों बनाया गया है। हमारी तरफ़ से कभी कोई विरोध नहीं किया गया। मदरसे हमारा मज़हब है। मदरसे हमारी मज़हबी ज़रूरत को पूरा करते हैं।
मदरसों के अंदर हम अपनी मस्जिदों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।"
10 सितंबर से हो रहा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे
एक तरफ जहां मदरसा संचालक सर्वे में टीमों का भरपूर सहयोग कर रहे हैं वहीं, वह दारुल उलूम के फैसले का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। गौरतलब है कि योगी सरकार के आदेश पर 10 सितंबर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे चल रहा है। इसको लेकर उलमा राज्य सरकार की नीयत को लेकर सवाल खड़े कर चुका हैं।
लाइन ऑफ एक्शन किया जाएगा तैयार
उलमा ने सीधे तौर पर कहा था कि सरकार विशेष समुदाय को निशाना बना रही है, जबकि इसके विरोध में इस्लामी तालीम के प्रमुख केंद्र दारुल उलूम में 18 सितंबर को यूपी के मदरसों का सम्मेलन बुलाया गया है। जिसमें विचार विमर्श करने के बाद सर्वे को लेकर लाइन ऑफ एक्शन तैयार किया जाएगा। इस सम्मेलन में दारुल उलूम से संबद्ध 250 से ज्यादा मदरसा संचालक भाग लेंगे। राज्य के सभी मदरसा संचालकों की नजरें सम्मेलन और उसके बाद दारुल उलूम के रुख पर टिकी हैं।