Highlights
- सपा और सुभासपा का टूट चुका है गठबंधन
- विधानसभा चुनाव 2022 से पहले हुए था गठबंधन
- इससे पहले NDA में भी शमिल रह चुके हैं राजभर
UP News: उत्तर प्रदेश की सियासत में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। समाजवादी पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद अब वो सपा और अखिलेश यादव पर सीधे हमले बोल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पहले हुए गठबंधन टूटने के बाद अब दोनों ने टिकट देने के नाम पर वसूली को लेकर एक दूसरे को घेरा है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि, "अखिलेश ने हमें 16 टिकट दिए साथ में 12 प्रत्याशी भी दे दिए। इन 12 प्रत्याशियों से उनके नवरत्नों ने कितने पैसे लिए इसका सबूत उनके पास है, अखिलेश बोलें तो दे सकता हूं। "
विदेश से पढ़े हैं लेकिन झाड़ फूंक की बातें कर रहे हैं
ओम प्रकाश राजभर यही तक नहीं रुके। उन्होंने अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अखिलेश यादव गठबंधन टूटने से हताश और निराश हैं। वह अमेरिका में पढ़े लिखे हैं। हवाई जहाज से यात्रा करते हैं। तबीयत बिगड़ने पर बढ़िया अस्पतालों में इलाज कराते हैं। वह झाड़-फूंक की बातें कर रहे हैं। यदि उन्हें इतना ही झाड़ फूंक पर विश्वास है तो पहले शिवपाल चाचा और अपर्णा यादव का झाड़ फूंक कराएं कि वह क्यों उनसे दूर हैं। सच्चाई यह है कि भूत तो अब अखिलेश को पकड़े है। दूसरों को झाड़ फूंक की सलाह न दें। राजभर ने कहा कि हमने तो अखिलेश से गांवों में लोगों के बीच जाकर उनकी दिक्कतें सुनने और उनसे बातचीत की सलाह दी थी। पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक की बातें करते हैं तो उनके बीच जाना भी चाहिए। प्रदेश की जनता की समस्याओं पर उनसे बातें करने की सलाह दी थी।
बसपा ने कर दिया था गठजोड़ से इंकार
गौरतलब है कि सपा से गठबंधन टूटने के बाद राजभर मायावती की पार्टी बसपा से गठबंधन करने की बात कह रहे थे। लेकिन किसी आधिकारिक प्रस्ताव से पहले ही बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने इशारों-इशारों में इस गठबंधन से इंकार कर दिया था। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए एक ट्वीट कर कहा था कि, "बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासन, प्रशासन, अनुशासन की पूरी दुनिया तारीफ करती है। लेकिन कुछ अवसरवादी लोग भी उनके नाम के सहारे अपनी राजनीतिक दुकान चलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।" जिसके बाद सुभासपा की तरफ से बसपा से किसी भी तरह के गठबंधन की बात ही न करने की बातें कही जाने लगीं।