योगी सरकार सोलर एनर्जी को लेकर बड़ा लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की सौर नीति-2022 के तहत अगले पांच साल में 22 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी बनाने का टारगेट है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए सोलर पार्कों की स्थापना के माध्यम से 14,000 मेगावाट, आवासीय क्षेत्रों में रूफटॉप सौर परियोजनाओं के माध्यम से 4,500 मेगावाट, गैर-आवासीय रूफटॉप परियोजनाओं के माध्यम से 1,500 मेगावाट और पीएम कुसुम योजना के माध्यम से 2,000 मेगावाट का उत्पादन शामिल है।
क्या है योगी सरकार का मेगाप्लान
यूपी सोलर पॉलिसी-2022 पांच साल के लिए लागू होगी। इसके तहत केंद्र से वित्तीय सहायता के अलावा, राज्य सरकार के 15,000 रुपये प्रति किलोवाट, अधिकतम 30 हजार रुपये प्रति उपभोक्ता तक के योगदान को मंजूरी दी गई है। सरकारी इमारतों और सभी शिक्षण संस्थानों को नेट मीटरिंग सिस्टम पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई है।
पृथक कृषि फीडर कुसुम सी-2 के सोलराइजेशन के लिए नीति में 50 लाख रुपये प्रति मेगावॉट वायबिलिटी गैप फंडिंग का प्रावधान है। निजी ऑन-ग्रिड पंप के सोलराइजेशन के लिए मुसहर, वनटांगिया और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 70 प्रतिशत की सब्सिडी और अन्य किसानों के लिए 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की गई है।
बिजली पैदा करने वाले संयंत्रों को मिलेगी बड़ी छूट
इस पॉलिसी के पांच साल के दौरान कुल 1,000 करोड़ रुपए दिए जा सकते हैं। पॉलिसी में बिजली खरीद समझौते, यूटिलिटी स्केल सौर ऊर्जा परियोजनाओं, स्टैंड-अलोन बैटरी सिस्टम और 4 घंटे की क्षमता वाले 5 मेगावाट से अधिक की भंडारण प्रणाली के साथ-साथ 2.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की सब्सिडी दी गई है। सरकारी उपक्रमों द्वारा ग्राम पंचायत या राजस्व भूमि पर सोलर पार्कों की स्थापना के लिए 30 सालों के लिए एक रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से और निजी क्षेत्र की कम्पनियों को 30 साल तक 15 हजार रुपये प्रति एकड़ भूमि उपलब्ध करायी जायेगी। खरीदी या लीज पर ली गई जमीन पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जबकि सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाले संयंत्रों को 10 साल के लिए बिजली शुल्क से छूट दी जाएगी।