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Udaipur Murder: कन्हैयालाल के हत्यारे जिस संगठन से जुड़े थे, वह यूपी के इस शहर से इकठ्ठा करता है लाखों का चंदा

Udaipur Murder: संगठन गुल्लकों से हजारों-लाखों रुपयों का चंदा इकट्ठा करता है। कमाल की बात है कि जिन दुकानों पर यह गुल्लकें रखी हुई हैं उन्हें भी नहीं मालूम की यह चंदे का पैसा जाता कहां है ? किस काम में इस्तेमाल किया जाता है?

Written By: Sudhanshu Gaur
Published : Jul 04, 2022 13:39 IST, Updated : Jul 04, 2022 13:46 IST
Accused who brutally murdered a tailor in Udaipur
Image Source : FILE PHOTO Accused who brutally murdered a tailor in Udaipur 

Highlights

  • पिछले दिनों दोनों आरोपियों ने कन्हैयालाल की हत्या कर दी थी
  • कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था
  • दोनों आरोपियों का यूपी से भी कनेक्शन भी सामने आया था

Udaipur Murder: उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या करने वाले गौस और रियाज एक इस्लामी संगठन से जुड़े हुए थे। यह इस्लामी संगठन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान से संचालित होता है।  SIT जांच में यह भी सामने आया कि हत्यारा गौस मोहम्मद भी पाकिस्तान गया है। वह वहां जाकर दावत-ए-इस्लामी के एक जलसे में शामिल हुआ था। हत्यारों का उत्तर प्रदेश से भी कनेक्शन सामने आया तह, जिसके बाद खबर आई थी कि यूपी ATS भी इनसे पूछताछ करेगी। 

दावत-ए-इस्लामी संगठन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी एक्टिव है। वह वहां गरीब बच्चों की पढाई, उनके रहने-खाने और गरीबों की मदद के नाम पर चंदा इकट्ठा करता है। ऐसा ही एक मामला पीलीभीत से सामने आया है। यहां शहर की कई दुकानों पर दावत-ए-इस्लामी संगठन की गुल्लकें रखी हुई हैं। इन गुल्लकों में हजारों-लाखों रुपयों का चंदा इकट्ठा किया जाता है। कमाल की बात है कि जिन दुकानों पर यह गुल्लकें रखी हुई हैं उन्हें भी नहीं मालूम की यह चंदे का पैसा जाता कहां है ? किस काम में इस्तेमाल किया जाता है?

गुल्लकों में इकट्ठा होता है लाखों का चंदा 

इन्हीं दुकानों में से एक दुकानदार बताता है कि, "उसने एक दोस्त के कहने पर यह गुल्लक रखी है। वह किसी पर भी इसमें रुपए डालने को नहीं बोलता है। लोग अपनी मर्जी से गुल्लक में दस, बीस या पचास के नोट के साथ साथ फुटकर रुपए डाल जाते हैं।" हालांकि, उन्हें यह पता नहीं है कि इसमें इकट्ठा पैसा कौन ले जाता है? और उसका इस्तेमाल किस लिए किया जाता है? वहीं एक दुकानदार शानू कहते हैं, "यह पैसा गरीबों के लिए, गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए ऐसे तमाम लोगों के लिए होता है, जिनको मदद चाहिए होती है।"

संगठन के स्कूल का भी हो रहा संचालन

पीलीभीत में दावत-ए-इस्लामी केवल गुल्लक या मदरसे ही नहीं चला रहा है। कई स्कूल भी चला रहा है। हालांकि, इन स्कूलों को कहां से मान्यता मिली है? इसके बारे में कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। वहीं शहर काजी मौलाना जरताब खां बताते हैं कि, "हम हमेशा से दावत-ए-इस्लामी संगठन का विरोध करते रहे हैं। यह दुश्मन देश पाकिस्तान का संगठन है। हमारा सवाल है कि यह देश में कैसे काम कर रहा है। क्या किसी भारत के संगठन को पाकिस्तान में स्कूल या अपना संगठन चलाने को मिलेगा, जो दावत-ए-इस्लामी को दिया जा रहा है।"

22 साल से भारत में सक्रिय है दावत-ए-इस्लामी संगठन

गौरतलब है कि दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क भारत सहित दुनिया भर में फैला हुआ है। भारत में दिल्ली और मुंबई में इसका हेडक्वार्टर बताया जाता है। इसका संचालन पाकिस्तान से हो रहा है। बताया जा रहा है पीलीभीत में दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क 2005 से फैलना शुरू हुआ था। दावत-ए-इस्लामी के सदस्य हरा साफा (पगड़ी) पहनते हैं।

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