Highlights
- मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में हुई सुनवाई
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा कोर्ट को दिया आदेश
- हाईकोर्ट ने वादी और प्रतिवादी पक्ष की रिपोर्ट मांगी
Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा जिला कोर्ट को आदेश दिया है। इस मामले में वादी और प्रतिवादी पक्ष की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया है। अब 2 अगस्त को अदालत इस मामले में अगली सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि अगली सुनवाई में विवादित परिसर के सर्वे को लेकर हाईकोर्ट फैसला सुना सकता है।
कोर्ट में दाखिल याचिका में की गई ये मांग
बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के वाद मित्र मनीष यादव की ओर से ये याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर विवादित परिसर का सर्वे कराए जाने की मांग की गई है। याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत कई लोगों को पक्षकार बनाया गया है। मथुरा की अदालत में दाखिल अर्जी पर जल्द सुनवाई पूरी किए जाने की मांग भी की गई है। जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई है। इसी तरह की एक अर्जी पर हाईकोर्ट पिछले हफ्ते 3 महीने में सुनवाई पूरी किए जाने का आदेश दे चुका है।
शाही ईदगाह के सर्वे के आवेदन पर दिया था निर्देश
गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में शाही ईदगाह और जहांआरा की मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वे कराने के आवेदन और इस मुकदमे में उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्तियों पर सुनवाई कर तीन महीने के भीतर निर्णय करने का मथुरा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) को पिछले सोमवार को निर्देश दिया था। भगवान श्री कृष्ण विराजमान और तीन अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति वीसी दीक्षित ने यह आदेश पारित किया था।
क्या है मथुरा विवाद
जानकारी के लिए बता दें कि मथुरा विवाद 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का है। इसमें 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। मथुरा में इस विवाद की चर्चा पिछले साल तब शुरू हुई थी, जब अखिल भारत हिंदू महासभा ने ईदगाह मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करने और उसका जलाभिषेक करने का ऐलान किया था। हालांकि, हिंदू महासभा ऐसा कर नहीं सकी थी।