Highlights
- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट ने बाबा विश्वनाथ के धाम की सूरत ही बदल दी है।
- श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे।
- रानी अहिल्याबाई ने 352 साल पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
Kashi Vishwanath Corridor: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट ने बाबा विश्वनाथ के धाम की सूरत ही बदल दी है। अब गंगा किनारे वाराणसी के पुराने घाटों से सीधे बाबा विश्वनाथ तक पहुंचा जा सकेगा। सात तरह के पत्थरों से विश्वनाथ धाम को सजाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचेंगे। पहले बाबा विश्वनाथ के मंदिर जाने के लिए संकीर्ण गलियों से होकर गुजरना पड़ता था लेकिन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद इस परिसर का नजारा बहुत भव्य हो गया है।
रानी अहिल्याबाई ने 352 साल पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। फिर महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर के शिखर पर सोने की परत चढ़वाई थी और अब 2021 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण पूरा हुआ है जिससे मंदिर परिसर का नजारा अद्भुत हो गया है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर 50 हजार वर्गमीटर में बना है। इसे रेकॉर्ड 21 महीनों में तैयार किया गया है। निर्माण पर 700 करोड़ रुपये खर्च हुए।
बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा स्नान के बाद धाम के चौक तक पहुंचने के लिए 80 सीढ़ियां चढ़नी होंगी। जो सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते, उनके लिए एस्केलेटेर की व्यवस्था भी है। काशी विश्वनाथ धाम का चौक मां गंगा की लहरों से 22 मीटर की ऊंचाई पर बना है।
बता दें कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करीब सवा 5 लाख स्कवायर फीट में बनाया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए सैकड़ों घरों का अधिग्रहण किया गया। इस दौरान विरोध भी हुआ लेकिन आखिकार सरकार को सफलता मिली।