रामचरितमानस की आलोचना की शुरुआत बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह से हुई। उन्होंने अपने विवादित बयान में रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया। इसके बाद उनके सुर में सुर मिलाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाकर सुर्खियों में बने हैं। इससे पहेल सपा नेता व पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति ने मार्य का समर्थन करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक पंक्तियां हैं, उन्हें सरकार हटा दे या फिर रामचरित मानस को ही बैन कर दिया जाए। इस बीच, अब सपा के विधायक आरके वर्मा ने रामचरितमानस के कई चौपाइयों को संविधान विरोधी बताया है।
'धर्म में बहुत सारी विसंगतियां हैं'
सपा विधायक ने कोर्स से तुलसीदास को हटाने की मांग की। उन्होंने अपने एक बयान में कहा, "इस विवाद में एंट्री करने की बात नहीं है। मैं देश का एक जिम्मेदारी नागरिक हूं और राजनीतिक कार्यकर्ता हूं। हम सभी लोग धर्म में विश्वास करते हैं, लेकिन धर्म में बहुत सारी विसंगतियां हैं, जिससे समाज में गैर-बराबरी का और भेद-भाव का संदेश जाता है। इससे समाज बिखरता है। मैंने अपने ट्विटर पर उन्हीं लाइनों को टैग किया है। वो लाइनें गैर-बारबरी का संदेश दे रही हैं।"
'संविधान सबको बराबरी का हक देता है'
आरके वर्मा ने कहा, "एक वर्ग विशेष को नीच कहने का हक किसी को भी नहीं है। भारत का संविधान सबको बराबरी का हक देता है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 कहता है कि देश के किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर, क्षेत्र के आधार पर, भाषा के आधार पर या लिंग के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये लाइनें भेद कर रही हैं, इसलिए मैंने कहा कि ये लाइन संविधान विरोधी लगती है। इसलिए समीक्षा करके इन लाइनों को संविधान से हटाया जाए।"
मौर्य और आरके वर्मा के खिलाफ FIR
वहीं, आरके वर्मा के समर्थकों ने प्रतापगढ़ की कचहरी पर जुलूस निकाला। इस दौरान आरके वर्मा के समर्थकों की प्रतापगढ़ कोर्ट के वकीलों से भिडंत हो गई। वकीलों और एसपी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हुई। पुलिस ने रामचरितमानस की कॉपी जलाने के आरोप में रानीगंज के विधायक आरके वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की है। वहीं, प्रतापगढ़ में स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है।
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