Highlights
- सुभासपा के 6 विधायक NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे
- अखिलेश यादव कर रहे लगातार नजरअंदाज - राजभर
- CM योगी ने मुझे बुलाकर कहा कि आप पिछड़े, दलित, वंचित की लड़ाई लड़ते हैं - राजभर
President Election 2022: अखिलेश यादव से सुहेलेदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की नाराजगी विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी पड़ेगी। सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने आज अपने पत्ते खोलते हुए कहा कि वह और उनकी पार्टी राष्ट्रपति चुनावों में NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेंगे। आपको बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर वोटिंग होगी और उससे पहले सपा गठबंधन में शमिल सुभासपा का NDA उम्मीदवार का समर्थन करना विपक्ष को भारी पड़ सकता है।
अखिलेश यादव कर रहे लगातार नजरअंदाज - राजभर
एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राजभर ने अखिलेश यादव पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को हमारी कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि, "समाजवादी पार्टी के नेता को हमारी जरूरत नहीं है। प्रेस वार्ता में जयंत चौधरी को बुला लेते हैं, लेकिन ओपी राजभर को न बुलाना। राज्यसभा चुनाव आया तो राज्यसभा जयंत चौधरी को दे देना, MLC चुनाव में हमें न पूछना। उनकी तरफ से लगातार नजरअंदाज करने वाली चीजें हो रही हैं।"
राष्ट्रपति चुनावों में किसके समर्थन के सवाल को लेकर उन्होंने बताया कि, " मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे बुलाकर कहा कि आप पिछड़े, दलित, वंचित की लड़ाई लड़ते हैं। आप द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें। मैंने उनसे मुलाकात की। जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई। उनसे बात होने के बाद हमने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का फैसला किया है।"
हालांकि अभी भी हूं अखिलेश यादव के साथ - राजभर
हालांकि उन्होंने कहा कि वो अभी भी अखिलेश के साथ हैं और गठबंधन में जब तक वो हैं तब तक हम रहेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि वो अखिलेश के साथ वोट देने के लिए तैयार थे। लेकिन उनकी तरफ से लगातार की जा रही नजरअंदाजी गलत थी और इसी लिए वे और उनके 6 विधायक NDA की उम्मीदवार को वोट करेंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2022 का विधानसभा चुनाव सुभासपा और सपा ने एक साथ मिलकर लड़ा था। सुभासपा ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और छह पर जीत हासिल की थी। इससे पहले, 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी लेकिन बाद में पार्टी सरकार से अलग हो गयी थी।