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Policewala Teacher: बच्चों को भीख मांगते देखा तो खोल दी स्कूल, 'पुलिसवाला टीचर' के ट्रांसफर पर फूट-फूटकर रोया पूरा गांव

Policewala Teacher: 38 वर्षीय रोहित 2005 में उत्तर प्रदेश पुलिस बल में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा, मैं अपने पिता चंद्र प्रकाश यादव के नक्शेकदम पर चल रहा हूं, जिन्होंने हमारे पैतृक गांव इटावा में 1986 में गरीब किसानों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Aug 23, 2022 16:00 IST, Updated : Aug 23, 2022 16:00 IST
Policewala Teacher
Image Source : TWITTER Policewala Teacher

Policewala Teacher: एक टीचर का अपने बच्चों से प्यार के उदाहरण तो आपने कई देखे और सुने होंगे लेकिन बच्चों को भी अपने टीचर से कितना प्यार होता है इसका एक उदाहरण यूपी के उन्नाव में देखने को मिला। यहां तैनात सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के हेड कांस्टेबल रोहित कुमार यादव का ट्रांसफर हो गया। उनके ट्रांसफर की खबर से जहां गांव वाले उदास हो गए, तो वहीं बच्चे रोने लगे। बता दें कि रोहित कुमार यादव सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के गांव कोरारी कला में सितंबर 2018 से अपनी ड्यूटी के बाद लगभग 125 बच्चों को शिक्षा देने का काम करते थे।

2005 में यूपी पुलिस बल में शामिल हुए थे रोहित

हाल ही में उनका तबादला झांसी के सिविल पुलिस में किया गया था। जब रोहित जाने से पहले बच्चों से मिले, तो बच्चे फूट-फूट कर रोने लगे। बच्चों ने उन्हें गले लगा लिया और उनसे न जाने का आग्रह करने लगे। इस दौरान गांव के प्रधान और सभी ग्रामीण मौजूद रहे। एक जीआरपी सिपाही की अनोखी विदाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 38 वर्षीय रोहित 2005 में उत्तर प्रदेश पुलिस बल में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा, मैं अपने पिता चंद्र प्रकाश यादव के नक्शेकदम पर चल रहा हूं, जिन्होंने हमारे पैतृक गांव इटावा में 1986 में गरीब किसानों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला था।

रेलवे स्टेशन के बगल में शुरू किया ओपन-एयर स्कूल
आगे उन्होंने बताया, जब मैं 2018 में जीआरपी में शामिल हुआ, तो मैं अक्सर वंचित परिवारों के बच्चों को कोरारी रेलवे स्टेशन के पास ट्रेनों में भीख मांगते देखता था। उनके पैरेंट्स से बात करने के बाद मैंने रेलवे स्टेशन के बगल में एक ओपन-एयर स्कूल 'हर हाथ में कलम पाठशाला' शुरू किया। मैंने अपने वेतन में से 8,000 रुपये प्रति माह बच्चों के लिए किताबें, स्टेशनरी और यहां तक कि कपड़े की व्यवस्था के लिए खर्च किए। चूंकि यह एक स्वैच्छिक प्रयास था, इसलिए मैं अपनी ड्यूटी के घंटों के बाद उन्हें पढ़ाता था।

Policewala Teacher

Image Source : IANS
Policewala Teacher

रोहित ने कहा, उन्नाव के तत्कालीन जिला परिवीक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार को इस पहल के बारे में जब पता चला, तो उन्होंने मुझे कोरारी कलां गांव में कक्षाएं संचालित करने के लिए एक पंचायत कार्यालय की पेशकश की। बाद में, कुछ और लोग छात्रों को पढ़ाने के लिए मेरे साथ जुड़ गए।

झांसी में हुआ है ट्रांसफर
तीन बच्चों के पिता रोहित ने कहा कि जब भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने का समय मिलेगा, वह गांव का दौरा करते रहेंगे। हालांकि, उनकी झांसी में एक और स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है, जहां उन्हें अब तैनात किया गया है। उन्नाव सरकारी रेलवे पुलिस के एसएचओ राज बहादुर ने कहा, मैंने कभी ऐसा पुलिस वाला नहीं देखा, जो बच्चों के कल्याण के लिए इतना समर्पित हो। वह अपनी नियमित पुलिस ड्यूटी भी करता रहता है। वह एक रोल मॉडल है।

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