Highlights
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 दिसंबर को पूर्वी उत्तर प्रदेश को देंगे बड़ी सौगात
- गोरखपुर एम्स को पीएम मोदी 7 दिसंबर को जनता को समर्पित करेंगे
- पीएम मोदी 9600 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं को राष्ट्र को करेंगे समर्पित
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी सात दिसंबर को गोरखपुर एम्स, फर्टिलाइजर कारखाने और आईसीएमआर के जांच केंद्र का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर में संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए सपना बन चुकी इन तीन बड़ी परियोजनाओं फर्टिलाइजर कारखाने, गोरखपुर एम्स और आईसीएमआर के जांच केंद्र का आगामी सात दिसंबर को उद्घाटन करेंगे। गोरखपुर दौरे के दौरान पीएम मोदी 9600 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘गोरखपुर में वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का एक खाद कारखाना था, जो बंद हो गया था। उसके बाद आई सरकारों ने इसे फिर से खोलने पर ध्यान नहीं दिया जिसके परिणाम स्वरुप क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ सामान्य नागरिकों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ा। इसे पुनर्जीवित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में खाद कारखाने का शिलान्यास किया और समय सीमा के अंदर यह कारखाना बनकर तैयार है।’’
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान उर्वरक के नाम से करीब 600 एकड़ क्षेत्रफल में बने इस कारखाने को मोदी सात दिसंबर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इसमें 12 लाख मैट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। इससे क्षेत्र के किसानों को तो लाभ होगा, साथ ही साथ रोजगार की संभावनाओं को आगे बढ़ाने में भी इसकी बहुत बड़ी भूमिका होगी। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उसी दिन 112 एकड़ क्षेत्र में बने एम्स का भी उद्घाटन करेंगे। वर्ष 2016 में मोदी ने इसका शिलान्यास किया था, यह एम्स कभी बाढ़ और बीमारी के लिए पहचाने जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा की नई रोशनी पैदा करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी’ पुणे की तर्ज पर आईसीएमआर का एक क्षेत्रीय केन्द्र भी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बनकर तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को इसका भी उद्घाटन करेंगे। उन्होंने बताया कि इस केंद्र का शिलान्यास वर्ष 2018 में हुआ था। यह न सिर्फ इंसेफलाइटिस, कालाजार, चिकनगुनिया और डेंगू बल्कि कोविड-19 जैसी महामारी से जुड़े वायरस की भी पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने इत्यादि का काम भी करेगा।