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Noida Twin Towers Demolition: ट्विन टावर ध्वस्त होने पर उड़ेगा धूल का गुबार, रोकने के लिए फॉगिंग मशीन का किया ट्रायल

Noida Twin Towers Demolition: नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने फॉगिंग मशीन का ट्रायल किया। अधिकारियों का कहना है कि ट्विन टावर के डिमोलिशन के बाद भारी मात्रा में धूल उड़ने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: August 28, 2022 7:56 IST
Noida Twin Tower Demolition- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Noida Twin Tower Demolition

Highlights

  • अधिकारियों ने किया फॉ​गिंग माशीनों का ट्रायल
  • ट्विन टावर ध्वस्त होने से 35 हजार क्यूबिक मलबा निकलेगा

Noida Twin Towers Demolition: ट्विन टावर ध्वस्त होने में बस चंद घंटे शेष हैं। आज दोपहर 2.30 बजे ट्विन टावर ध्वस्त होकर ​इतिहास बन जाएंगे। लेकिन इतने बड़े यानी कुतुब मीनार से भी बड़े 100 फीट की हाइट के ट्विन टावर के गिरने पर धूल का गुबार उड़ेगा। बड़ी मात्रा में उड़ने वाले धूल के इस गुबार को नियंत्रित करने के लिए फॉ​गिंग मशीन का उपयोग किया जाएगा। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने फॉगिंग मशीन का ट्रायल किया। अधिकारियों का कहना है कि ट्विन टावर के डिमोलिशन के बाद भारी मात्रा में धूल उड़ने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसे दबाने के लिए मशीनों से पानी का छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। 

नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने किया फॉ​गिंग माशीनों का ट्रायल

ट्विन टॉवर के ध्वस्तीकरण से पहले पानी के टैंक और फॉ​गिंग मशीन का ट्रायल किया गया। यह ट्रायल नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने किया। धूल के गुबार के आसपास के इलाकों में फैलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इस समस्या से निजात पाने के लिए युद्ध स्तर पर फॉ​गिंग मशीनों को लगाया जाएगा। ताकि जल्द से जल्द धूल के गुबार को शांत किया जा सके।

ट्विन टावर ध्वस्त होने से 35 हजार क्यूबिक मलबा निकलेगा

परियोजना अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए अनुमानों के अनुसार, एपेक्स (32 मंजिला) और सेयेन (29 मंजिला) के विध्वंस से लगभग 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलने की उम्मीद है। इसके अलावा, लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावरों के विध्वंस का प्रभाव दो सोसायटियों  एमराल्ड कोर्ट और आस-पास के एटीएस विलेज पर होगा। 

क्या इमारत गिरने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा?

विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि ध्वस्त से धूल के बादल आसमान में बन जाएंगे। वही इस पर कई दिनों से बहस हो रही थी कि क्या इसका पर्यावरण पर कोई स्थायी प्रभाव पड़ेगा। आंखों में जलन, नाक, मुंह और श्वसन प्रणाली से लेकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं"। इस ध्वस्त के कारण से कई दिनों तक हवाओं में धुल और कण मिले रहेंगे। हालांकि इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि हमने ध्वस्त के समय एसओपी का प्रयोग करेंगे। जो भी पर्यावरण को बचाने के लिए कार्य होंगे उसका हम पालन करेंगे। इस एरिया में लगभग 5,000 से अधिक निवासी रहते हैं। 

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