Highlights
- यूपी में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में काफी कमी आई है।
- उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम के मामलों में भी अच्छी-खासी कमी आई है।
- प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी: ADG
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2022 के चुनावी समर में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी अच्छा खासा समर्थन बटोरा था। सरकार के दावों की पुष्टि NCRB की ताजा रिपोर्ट भी कर रही है। NCRB के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज किए गए लेकिन उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया। यूपी के मुकाबले बाकी राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में 100, झारखंड में 77, बिहार में 51 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए। वहीं, 2019 और 2020 में यूपी में सांप्रदायिक हिंसा का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध में आई कमी
NCRB के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में काफी कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के 18,943 मामले दर्ज किए गए जो कि 2021 में घटकर 16,838 हो गया। 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 59,853 मामले थे जो कि घटकर 2021 में 56,083 हो गए। इस तरह देखा जाए तो 2019 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 6.2 फीसदी की कमी आई है, जबकि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में 11.11 फीसदी की कमी आई है।
2019 में साइबर क्राइम के 11416 मामले दर्ज किए गए
साइबर क्राइम की बात करें तो यूपी में 2019 में इसके 11,416 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में 22.6 फीसदी घटकर 8,829 हो गए। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्य में पुलिस अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है और यही कारण है कि अपराध दर में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि NCRB के आंकड़े भी अपराध दर में कमी का सबूत दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी और अपराध व अपराधियों के खिलाफ किसी भी कीमत पर नरमी नहीं बरती जाएगी।
समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर बोला बड़ा हमला
हालांकि समाजवादी पार्टी ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य ‘हिरासत में हुई मौतों में नंबर एक’ था। NCRB के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, ‘जब दंगाई और साम्प्रदायिक दंगाई सरकार में शामिल हो गए हैं, तो स्वाभाविक रूप से दंगे कम हो जाएंगे। बीजेपी NCRB दंगों की रिपोर्ट पर बहस के लिए तैयार है, लेकिन क्या बीजेपी के लोग NCRB के आंकड़ों पर भी बहस करेंगे जिसमें कहा गया है कि यूपी हिरासत में मौत में नंबर वन है।’