Highlights
- विक्रम सैनी और अन्य दोषियों को 25-25 हजार रुपये के 2 मुचलकों पर रिहा कर दिया गया।
- बीजेपी विधायक सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई थी।
- दंगों में कम से कम 60 लोग मारे गये थे और 40 हजार अन्य लोगों को पलायन करना पड़ा था।
Vikram Saini News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में स्पेशल MP/MLA कोर्ट ने मंगलवार को BJP विधायक विक्रम सैनी को सजा सुनाई। कोर्ट सैनी के साथ 11 अन्य को दोषी करार देते हुए 2-2 साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनायी, हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया। बता दें कि कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में पहले गौरव और सचिन नाम के युवकों की हत्या हुई और उसके बाद शाहनवाज नाम के युवक को मारा गया था।
सबूतों के अभाव में 15 अभियुक्त बरी
स्पेशल MP/MLA कोर्ट के जज गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य अभियुक्तों को भारतीय दण्ड विधान की धारा 336 (जीवन को खतरा पैदा करने), 353 (सरकारी काम में बाधा डालने के लिये आपराधिक हमला), 147 (दंगा करना), 148 (घातक शस्त्रों से दंगा फैलाना), 149 (गैरकानूनी रूप से भीड़ जमा करना) तथा आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत दोषी करार देते हुए 2-2 साल की कैद और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने मामले के 15 अभियुक्तों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
फैसले को हाई कोर्ट में दे सकेंगे चुनौती
सजा सुनाए जाने के बाद बीजेपी विधायक और अन्य दोषियों को 25-25 हजार रुपये के 2 मुचलकों पर रिहा कर दिया गया। हालांकि जमानत मिलने से पहले इन सभी को कई घंटों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया। जमानत मिलने के बाद अब वे अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकेंगे। बीजेपी विधायक विक्रम सैनी तथा 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव और सचिन तथा शाहनवाज नामक युवकों की हत्या की गयी थी।
दंगों में मारे गए थे 60 से ज्यादा लोग
युवकों की हत्या की घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था। गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी। इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई थी। कवाल कांड के बाद सितंबर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे और 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था।