दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी इलाके में 350 सेवानिवृत्त कर्मचारियों की जमीन को भूमाफिया ने हड़पकर दूसरों को दे दिया। लंबे समय तक अधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद 35 बुजुर्गों ने अपनी करोड़ों की जमीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कर दी। फिर उनमें से 15 बुजुर्गों ने राष्ट्रपति भवन से इच्छामृत्यु की मांग की है। उनका मानना है कि शायद उनके मरने के बाद अधिकारियों का जमीर जग जाए और वह भूमाफिया पर कार्रवाई कर दें।
सोसायटी के नाम पर भूमाफिया ने किया घोटाला
आगरा के गांधीनगर निवासी रविंद्रनाथ शुक्ला ने बताया कि वह दूरसंचार मंत्रालय, दिल्ली में काम करते थे। इस दौरान लोनी में रेल विहार सोसायटी से जुड़े थे और उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस सोसायटी में सभी सरकारी कर्मचारी थे और ज्यादातर रेलवे के थे। 1988 में सभी सदस्यों ने मिलकर सोसायटी के नाम से साब्दुल्लाह गांव के पास 135 बीघा जमीन खरीदी थी। इसमें बिजली, पानी और पार्क आदि का खर्च जोड़कर रेल विहार कॉलोनी बनाई गई थी। सभी 350 सदस्यों को 80 हजार रुपए का पेमेंट कर के 100 गज के प्लाट अलॉट किए गए थे।
1996 में भूमाफिया की हुई एंट्री
रविंद्र के मुताबिक, 1996 में सोसायटी में विजय भाटी नामक भूमाफिया शामिल हुआ और छल- कपट करके अध्यक्ष बन गया। उसने नए मेंबर जोड़े और सारी जमीनें उन नए मेंबरों को दे दीं। उन लोगों को पहले टरकाया गया और बीते 5 सालों से वह न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। कोई अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है।
करोड़ों पहुंच गई जमीन की कीमत
रविंद्र के अनुसार जमीन की वर्तमान सरकारी सर्किल रेट के हिसाब से कीमत 400 करोड़ है। इस समय उसकी बाजार कीमत 1 हजार करोड़ के लगभग है। सभी असली मालिक रिटायर्ड हैं और सभी की उम्र 70 से 80 वर्ष के बीच है। 50 से ज्यादा मालिकों की मौत हो गई है और उनकी विधवा पत्नियां न्याय के लिए लड़ रही हैं।
प्रधानमंत्री के नाम कर दी जमीन
रविंद्र ने बताया कि कोई दमदार व्यक्ति ही जमीन को कब्जा मुक्त करवा सकता है। हिंदू धर्म के अनुसार राजा ईश्वर का रूप होता है। इसलिए कुल 35 लोगों ने 100 रुपए के स्टाम्प पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जमीन कर दी है। राष्ट्रपति भवन जाकर सबने इच्छामृत्यु की मांग करी है। उन्होंने कहा है कि हमारी पीएम से अपील है कि वह जमीन खाली करवाकर ले लें। साथ ही हमें इच्छामृत्यु दिलवा दें, ताकि लोगों को सीख मिल सके। रविंद्र के अनुसार सभी ने अपनी जमीन और इच्छामृत्यु की लिखित मांग प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति भवन से रिसीव करवाए हैं। अभी ट्वीट से भी मदद की गुहार लगाई है।
मुकदमा करेंगे, तो भी तीन पीढ़ी निकल जाएगी
रविंद्र ने बताया की इस उम्र में वे लोग कोर्ट के चक्कर नहीं काट सकते। वे अगर कोर्ट में मुकदमा दायर भी करें, तो तीन पीढ़ी पैरवी ही करती रह जाएंगी। इसके बाद भी न्याय की उम्मीद मुश्किल होगी। शिकायत करने पर आरोपी उस समय के हिसाब से पैसे देने को कह रहा है। जब 80 हजार दिए थे, तो हमारी तनख्वाह 250 रुपए थी। आज वह जगह करोड़ों की है।