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मदरसों को बोर्ड से जोड़ने पर भड़के मौलाना अरशद मदनी, बोले- सरकारी मदद की जरुरत नहीं है

अरशद मदनी ने कहा कि दुख की बात है कि आज मदरसों पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर भी वास्ता नहीं है और हमने देश की आजादी के बाद खुद को अलग कर लिया था।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: October 30, 2022 17:15 IST
Maulana Arshad Madani- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Maulana Arshad Madani

जमीयत ए उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मकसद को नहीं समझ सकता, इसलिए मदरसों के किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब नहीं बनता। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित दारुल उलूम की रशीदिया मस्जिद में रविवार को आयोजित मदरसा संचालकों के सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि मदरसों को किसी भी सरकारी मदद की जरुरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उलमा ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई है। सम्‍मेलन में मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किए जाने का विरोध किया गया।

मदरसों के लोगों ने ही आजादी में अहम भूमिका निभाई: मदनी

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अभी कराए गए मदरसों के सर्वे के बाद दारुल उलूम सहित गैर-सरकारी मदरसों को गैर-मान्यताप्राप्त बताए जाने के बाद दारुल उलूम देवबंद का यह बड़ा फैसला सामने आया है। देशभर के साढ़े चार हजार मदरसा संचालकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरशद मदनी ने कहा कि दारूल उलूम सहित उलमा ने देश की आजादी में जो भूमिका निभाई इसका मकसद ही सिर्फ देश की आजादी थी। उन्होंने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही आजादी में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि आज मदरसों पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं। 

'मदरसों में पढ़ाई का बोझ कौम उठा रही, आगे भी उठाती रहेगी'

मदनी ने कहा कि मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर भी वास्ता नहीं है और हमने देश की आजादी के बाद खुद को अलग कर लिया था। मौलाना ने कहा कि आज दारुल उलूम के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं, जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी। उन्होंने कहा कि मदरसों में पढ़ाई का बोझ कौम उठा रही है और आगे भी उठाती रहेगी। उन्होंने कहा कि हम हिमालय से ज्यादा मजबूती से खड़े रहेंगे।

'दारुल उलूम मदरसों का सबसे बड़ा संगठन, 4500 मदरसे जुड़े हैं'

उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देशभर में मदरसों का सबसे बड़ा संगठन है और इससे 4500 मदरसे जुड़े हैं, जिसमें 2100 मदरसे उत्तर प्रदेश से हैं। 29 अक्टूबर को कुल हिंद राब्ता एक मदारिस ए इस्लामिया की कार्यकारी कमेटी की बैठक दारुल उलूम देवबंद में हुई थी। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि मदरसे तालीमी निजाम को पुराने पाठ्यक्रम के आधार पर ही रखें, यदि पाठ्यक्रम में तब्दीली हुई, तो मदरसे अपने असली मकसद से भटक जाएंगे। 

एक आवाज में पाठ्यक्रम में तब्दीली को नकारते हैं: कासिम नोमानी

मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि कुछ नासमझ लोग मदरसों के पाठ्यक्रम में बुनियादी तब्दीली और मॉडर्न एजुकेशन की बात करते हैं, ऐसे लोगों से प्रभावित होने की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मदरसे तालीम के अपने पुराने निजाम को ही कायम रखें। हम एकजुट होकर एक आवाज में पाठ्यक्रम में तब्दीली को नकारते हैं, क्योंकि यह पाठ्यक्रम ही मदरसों का असली मकसद है और यदि वे इससे हटे, तो मदरसे भटक जाएंगे। नोमानी ने कहा कि मदरसे अमन व शांति का पाठ पढ़ाते हैं, इसलिए देश के खिलाफ उठने वाली ताकतों का सिर कुचलना भी मदरसों की अहम जिम्मेदारी है।

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