Highlights
- जन्माष्टमी की रात मंगला आरती के दौरान हुआ था हादसा
- वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर में मची थी भगदड़
- भगदड़ के दौरान दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी
Mathura News: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में जन्माष्टमी की रात मंगला आरती के दौरान वृन्दावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हुए हादसे की जांच करने आई समिति के समक्ष पहले ही दिन करीब 150 लोगों ने अपने बयान दर्ज कराए। अभी यह क्रम कल भी चलेगा। गौरतलब है कि जन्माष्टमी की रात मंगला आरती के दर्शन के दौरान ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़ के समय दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और कई श्रद्धालु घायल हो गए थे। इनमें से सात व्यक्तियों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया था।
लोगों में अपनी बात कहने का दिखा खासा उत्साह
बांकेबिहारी मंदिर में मची भगदड़ के अगले ही दिन गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने आदेश जारी कर एक जांच समिति गठित किए जाने की सूचना दी। पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह को समिति का अध्यक्ष और अलीगढ़ के मंडल आयुक्त गौरव दयाल को इसका सदस्य बनाया गया। उक्त समिति के अध्यक्ष सुलखान सिंह और सदस्य गौरव दयाल ने सोमवार और मंगलवार को वृंदावन पहुंचकर पड़ताल शुरू कर दी। दोनों ही अधिकारियों ने अपने-अपने तरीके से मंदिर के आसपास के लोगों, दुकानदारों और वहां आने वाले श्रद्धालुओं, प्रबंधन के लोगों और सेवायत गोस्वामी समाज के लोगों से बात कर सही स्थिति जानने की कोशिश की। समिति ने 25 और 26 अगस्त का दिन आम लोगों से इस घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए तय किया है। गुरुवार को पहले ही दिन लोगों में अपनी बात कहने का खासा उत्साह देखा गया और करीब 150 लोगों ने बयान दर्ज कराए। 150 में से करीब सौ से अधिक लोग एक साथ दो बसों से पहुंचे।
मथुरा में जांच के बाद काशी कॉरिडोर का करेंगे अध्ययन
सरकारी सूत्रों के मुताबिक बयान दर्ज कराने वालों में बहुत से लोग लिखित बयान की कॉपी लेकर पहुंचे थे, तो बहुतों ने पर्यटक सुविधा केंद्र (टीएफसी) पहुंचकर जांच समिति के समक्ष बोलकर अपने बयान दर्ज कराए। समिति अध्यक्ष सुलखान सिंह ने बताया कि वे लोग शुक्रवार को भी आम लोगों से घटना के संबंध में और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने से संबंधित उपायों के बारे में सुझाव एकत्र करने के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने बताया कि मथुरा में जांच समाप्त करने के बाद वे काशी (वाराणसी) भी जाएंगे और वहां जाकर काशी-विश्वनाथ मंदिर में बने कॉरिडोर का अध्ययन करेंगे। जिससे वहां के कॉरिडोर को देखकर वृंदावन में भी जरूरत के हिसाब से कॉरिडोर निर्माण की योजना को अमली जामा पहनाया जा सके।