Mathura Court: श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में आज सुनवाई के दौरान एक और प्रार्थना पत्र पेश किया गया। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद में माइक से अजान पर रोक लगाने की न्यायालय से मांग की गई। अखिल भारतीय हिंदू महा सभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने माइक से अजान पर रोक लगाने का प्रार्थना पत्र दिया।
मथुरा जिला जज राजीव भारती की कोर्ट में सिविल रिवीजन दाखिल हुआ। श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर बनाम शाही ईदगाह मस्जिद मामले में सर्वे कमिश्नर सिविल कोर्ट द्वारा जारी न करने को लेकर रिवीजन दाखिल हुआ। इस दौरान गर्मी की छुट्टियों के पहले सर्वे कराने की मांग की गई।सिविल जज सीनियर डिविजन ज्योति सिंह ने सर्वे कमिश्नर जारी करने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की 1 जुलाई की तारीख दी थी। वादी राजेंद्र माहेश्वरी एडवोकेट और सौरभ गौड ने रिवीजन दाखिल किया।
मथुरा की सिविल कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मामले में आज की सुनवाई में कोर्ट ने हिन्दू पक्ष को सभी पक्षों को याचिका की कॉपी देने को कहा। हिन्दू पक्ष को अपने दावे की कॉपी मुस्लिम पक्ष को देने को कहा है।
बता दें कि हाल ही में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार हो गया था। मथुरा कोर्ट ने सुनवाई के लिए इससे जुड़ी याचिका स्वीकार कर ली थी। याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनी है, इसलिए उसे हटाया जाना चाहिए।
जानिए क्या है मथुरा का विवाद
13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक का विवाद है। इसमें 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर किया था।
मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या जैसा
काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है। हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी। औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री ने वाद दायर किया था।
मुस्लिम पक्ष के वकील की दलील
उधर, शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा है कि 1968 के पुराने समझौते पर मंदिर ट्रस्ट ने कभी आपत्ति नहीं जताई है और इस मामले पर बाहरी लोग याचिका दायर कर रहे हैं। शाही ईदगाह ट्रस्ट के एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा है कि यह बेहद अजीब है कि कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और संस्थान ने अब तक इस मामले पर कोई स्टैंड नहीं लिया है, जबकि हिंदू याचिकाकर्ताओं ने उनको पार्टी बनाया हुआ है।