Friday, November 22, 2024
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मैनपुरी उपचुनाव: डिंपल संभालेंगी मुलायम की विरासत? अपर्णा उतरीं तो होगा दिलचस्‍प मुकाबला

राजीतिक पंडितों की मानें तो सपा मुखिया अखिलेश यादव का परिवार 26 साल से मैनपुरी सीट पर काबिज रहा है। उन्हें लगता है कि उनके इस निर्णय से मुलायम की सहानुभूति के अलावा महिलाओं का भी भरपूर समर्थन मिलेगा।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: November 11, 2022 16:39 IST
dimple yadav- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO डिंपल यादव

लखनऊ: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की विरासत को बचाने के लिए अखिलेश ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा है। उन्होंने डिंपल को उतार कर धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव की होड़ को खत्म करने की कोशिश की है। लेकिन यहां का चुनावी समीकरण मुलायम के भाई शिवपाल का रुख काफी हद तक तय करेगा। राजीतिक पंडितों की मानें तो सपा मुखिया अखिलेश यादव का परिवार 26 साल से इस सीट पर काबिज रहा है। उन्हें लगता है कि उनके इस निर्णय से मुलायम की सहानुभूति के अलावा महिलाओं का भी भरपूर समर्थन मिलेगा।

यादव बेल्ट पर शिवपाल की भी पकड़ बेहद मजबूत

सपा के एक स्थानीय नेता ने बताया कि सपा के बाद दूसरा कोई भी दल इस गढ़ को फतेह नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद और फरुर्खाबाद जैसे जिले सपा के गढ़ माने जाते हैं और यादवों की बड़ी आबादी के समर्थन से अधिकतर सीटों पर साइकिल का कब्जा होता रहा है। यादव बेल्ट पर शिवपाल यादव की भी पकड़ बेहद मजबूत है। उन्होंने दशकों तक इन इलाकों में गांव-गांव घूमकर काम किया है। शिवपाल यादव का यहां के बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध बताया जाता है। इसी कारण मैनपुरी सीट पर शिवपाल का काफी असर रहेगा। इसलिए अखिलेश को उन्हें साधना पड़ेगा।

aparna yadav dimple yadav

Image Source : FILE PHOTO
अपर्णा यादव और डिंपल यादव

2018 में पारिवारिक मतभेदों के चलते जब मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने प्रसपा का गठन कर सियासत की नई राह चुन ली। लेकिन इसके बाद भी शिवपाल सिंह ने 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव के सामने प्रसपा का प्रत्याशी उतारने से साफ मना कर दिया था।

शिवपाल अगर बागी होते हैं तो बिगड़ सकते हैं चुनावी समीकरण
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि मुलायम का परिवार करीब ढाई दशक से मैनपुरी सीट पर काबिज है। शिवपाल यहां से अगर बागी होते हैं तो चुनावी समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं क्योंकि उनका इस सीट पर ठीक ठाक प्रभाव है। ऐसे में अखिलेश को उन्हें साधना पड़ेगा। क्योंकि मुलायम सिंह यादव के चले जाने के बाद अब शिवपाल यादव के लिए यादव बेल्ट में खुद के लिए बड़ी भूमिका तलाशना चुनौती भी है। हालंकि अभी मुलायम के प्रति सहानुभूति का लाभ अखिलेश यादव को ही मिलने के आसार ज्यादा हैं। फिर भी शिवपाल की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है।

चुनावी आंकड़ों की मानें तो मैनपुरी में सर्वाधिक 3.5 लाख यादव, डेढ़ लाख ठाकुर और 1.60 शाक्य मतदाता हैं। मुस्लिम, कुर्मी, लोधी वोटर तकरीबन एक एक लाख है। ब्राम्हण और जाटव डेढ़ डेढ़ लाख हैं।

मैनपुरी से अपर्णा को उतारेगी BJP?
वहीं, आपको बता दें कि मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने गुरुवार को BJP की उत्तर प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी से लखनऊ में मुलाकात की थी। अपर्णा ने इस साल के शुरू में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी का दामन थामा था। अपर्णा ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात की तस्वीरें अपने टि्वटर हैंडल पर शेयर की हैं। हालांकि चौधरी ने अपने आवास पर उनसे मुलाकात करने आए अन्य पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की तस्वीरें भी शेयर की हैं, लेकिन अपर्णा की उनसे मुलाकात के बाद तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को ही मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी एवं पूर्व सांसद डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है।

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