Highlights
- आग में झुलसकर पूर्व आईजी की मौत
- पत्नी और बेटा अस्पताल में भर्ती
- घर में धुआं भर जाने से सबकी हालत बिगड़ गई थी
Lucknow News: लखनऊ के गाजीपुर थाना इलाके में शनिवार देर रात एक मकान में आग लगने के कारण दम घुटने से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) की मौत हो गयी और उनकी पत्नी एवं बेटा घायल हो गए। पुलिस ने रविवार सुबह यह जानकारी दी। लखनऊ पुलिस आयुक्तालय के गाजीपुर थाना क्षेत्र के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) मनोज कुमार मिश्र ने रविवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर में स्थित पूर्व आईजी दिनेश चंद्र पांडेय (70) के घर में बीती रात आग लग गई और उसकी पहली मंजिल पर उनका परिवार फंस गया। उन्होंने बताया कि पुलिस पड़ोसियों के सूचना देने पर तत्काल मौके पर पहुंची और उसने एवं अग्निशमन कर्मियों ने आग पर काबू पाकर पांडेय, उनकी पत्नी अरुणा पांडेय और पुत्र शशांक को बाहर निकाला। घर में धुआं भर जाने से सबकी हालत बिगड़ गई थी। मिश्र ने बताया कि तीनों को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने दिनेश चंद्र पांडेय को मृत घोषित कर दिया।
पत्नी और बेटे की हालत गंभीर
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और बेटे का उपचार जारी है और आवश्यक विधिक प्रक्रिया पूरी की जा रही है। मिश्रा ने बताया कि पांडेय करीब 10 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शनिवार रात करीब 11 बजे पांडेय के आवास में आग लग गयी और उसकी पहली मंजिल पर पूरा परिवार फंस गया। उन्होंने बताया कि पांडेय ने पहले खुद आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन सफलता न मिलने पर उन्होंने शोर मचाया। जब पुलिस वहां पहुंची, तो उसे परिवार के सभी सदस्य बेहोश मिले। सूत्रों ने बताया कि दिनेश चंद्र पांडेय की पत्नी और पुत्र खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
1972 बैच के अधिकारी थे
सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक बद्री प्रसाद सिंह ने घटना पर दुख प्रकट करते हुए रविवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि कानपुर के मूल निवासी दिनेश चंद्र पांडेय 1972 बैच के प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी थे, जिन्हें भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति मिली थी। सिंह ने बताया, ‘‘पांडेय जी ने हमारे साथ 1977 में पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज (पीटीसी) मुरादाबाद में पुलिस उपाधीक्षक का प्रशिक्षण लिया था, यद्यपि वह सेवा में मुझसे दो वर्ष वरिष्ठ थे।'' उन्होंने बताया कि ''पांडेय अच्छे पुलिस अधिकारी होने के साथ कई नाट्य संस्थाओं से जुड़े थे, पुलिस सेवाकाल में लखनऊ में प्रत्येक वर्ष होने वाले पुलिस सप्ताह में वह नाटक प्रस्तुत करते थे।