कानपुर (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां 6 महीने पहले भीख मांगने वाले गैंग ने एक युवक को किडनैप कर उसे इंजेक्शन के जरिए अंधा बना दिया और फिर हाथ और पैर की उंगलियां काटकर उसे भीख मांगने के लिए मजबूर किया। लेकिन जब शख्स की हालत दिन पर दिन बिगड़ती गई, और भीख मांगना भी उसके बस भी नहीं रहा तो गिरोह ने उसे एक झुग्गी बस्ती के पास फेंक दिया, जहां वह काफी देर तक बेहोश पड़ा रहा। जब पुलिस ने उसे देखा तो अस्पताल में भर्ती कराया।
आपबीती सुनाते हुए फूट-फूट कर रो पड़ा युवक
24 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर सुरेश मांझी अपनी आपबीती सुनाते हुए फूट-फूट कर रो पड़ा। उन्होंने कहा, मुझे जघन्य अपराधों का शिकार होना पड़ा। उन्होंने मुझे नशा दिया और फिर मुझे अंधा बनाने के लिए आंख में एक केमिकल इंजेक्शन लगाया। उन्होंने मेरे हाथ और पैर की उंगलियां काट दीं। मांझी, यशोदा नगर स्लम क्लस्टर का एक दिहाड़ी मजदूर है।
दिन में मिलती थी सिर्फ 2 रोटी ताकि दुबले-पतले बने रहें
मांझी ने कहा, गिरोह ने मुझे 70,000 रुपये में एक महिला को बेच दिया। बाद में, मुझे राज नाम के एक व्यक्ति द्वारा गोरखधाम एक्सप्रेस में दिल्ली ले जाया गया, जहां मुझे भीख मंगवाई गई। वे मुझे और अन्य भिखारियों को दिन में सिर्फ दो रोटी देते थे ताकि हम दुबले-पतले बने रहें और लोगों को हम पर दया आए। वे मुझे रोज प्रताड़ित करते थे और मेरे शरीर में कुछ न कुछ इंजेक्ट करते रहते थे। मांझी ने कहा, फिर मुझे संक्रमण हो गया और भीख नहीं मांग पा रहा था। जिसके बाद मुझे एक ट्रेन में वापस कानपुर भेज दिया गया। गिरोह ने मुझे एक बार फिर से बेचने की कोशिश की, लेकिन कुछ असफल प्रयासों के बाद, उन्होंने मुझे सड़क पर फेंक दिया, जहां मैं कुछ दिनों के लिए बेहोश पड़ा रहा। अंत में, पुलिस मुझे अस्पताल ले गई और मेरे परिवार के पास पहुंचाया।
कुख्यात गिरोह का होगा भंडाफोड़
कानपुर के पुलिस आयुक्त बी.पी. जोगदंड ने संवाददाताओं से कहा, मांझी ने बहुत दर्द झेला है। हम इस कुख्यात गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं। अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। डीसीपी कानपुर दक्षिण प्रमोद कुमार ने कहा, मांझी ने हमें आरोपियों के नाम दिए हैं। पुलिस उनकी पहचान और उनके पते निकालने की कोशिश कर रही है।
2022 में 179 बच्चे हुए लापता
इस बीच, पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले इस साल (अक्टूबर तक) 179 बच्चे लापता हुए है। विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) के प्रभारी सूरज चौहान ने कहा, इनमें से 46 बच्चे ऐसे हैं, जो अपने माता-पिता से गुस्सा होकर अपने घरों से भाग गए थे, वापस आ गए हैं। पुलिस 111 अन्य का पता लगाने में सक्षम हुई, हालांकि, 22 अन्य की तलाश जारी हैं।
एसजेपीयू की स्थापना 2012 में सभी जिलों में लापता बच्चों (18 वर्ष से कम) के मामलों की जांच के लिए की गई थी। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सात वर्षों में, 16 साल से कम उम्र के 43 लड़के और 59 लड़कियां, जो रहस्यमय परिस्थितियों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से लापता हो गए थे, का अभी भी पता नहीं चला है। अधिकारियों के अनुसार इनमें से कुछ मामले मानव तस्करी रैकेट में शामिल हो सकते हैं।