Jayant Chaudhary: राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी को लेकर कई दिनों से चले आ रहे सस्पेंस को समाजवादी पार्टी ने खत्म कर दिया है। सपा ने गुरुवार को ऐलान किया कि जयंत चौधरी सपा और रालोद के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। इससे पहले कल कपिल सिब्बल की भी सपा के समर्थन से राज्यसभा जाने की राह आसान हुई।
गौरतलब है कि प्रदेश में राज्यसभा की 31 सीटें हैं, जिनमें जून माह में कुछ सीटें खाली होने जा रही है। ऐसे में जून-जुलाई में राज्यसभा के चुनाव होंगे, जिनके जरिए गठबंधन के बड़े चेहरों को सदन का हिस्सा बनाया जाएगा।
रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह 2009 में मथुरा से सांसद रह चुके हैं। इसके बाद वह 2012 में मथुरा की मांट सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। मांट से लगातार जीतने वाले विधायक श्याम सुंदर शर्मा को हराने में भी जयंत सिंह कामयाब रहे थे।
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सपा-रालोद गठबंधन भविष्य की राजनीति का ताना-बाना बुन रहा है। यही कारण है कि यूपी में जून और जुलाई माह में होने वाले राज्यसभा चुनाव में जयंत सिंह को राज्यसभा भेजे जाने की पटकथा लिखी गई। रालोद के हिस्से में आठ विधानसभा सीटें हैं, बाकी वोट सपा के खाते से पूरी की जाएंगी।
बता दें कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 111, रालोद ने आठ और सुहैल देव भारतीय समाजवादी पार्टी ने छह सीटें जीती हैं। गठबंधन की कुल 125 सीटों के जरिए सबसे बड़ा विपक्षी दी है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने से रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह ने इनकार कर दिया था। इसके बाद अब उनके राज्यसभा की सीढ़ियां चढ़ने की राह बनी है।
2017 के चुनाव में रालोद को सिर्फ छपरौली की सीट मिली थी, उसमें भी जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं था। इस बार रालोद ने आठ सीटें जीतीं।