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Hijab Ban : 'हिजाब नहीं पहनने से बढ़ती है आवारगी', सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने फिर दिया विवादित बयान

Hijab Ban : हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की राय अलग-अलग होने के बाद अब इसकी सुनवाई बड़ी बेंच करेगी। उधर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिजाब नहीं पहनने से आवारगी बढ़ती है। हिजाब नहीं पहनने से समाज को भी नुकसान होता है।

Edited By: Niraj Kumar
Updated on: October 13, 2022 14:21 IST
Shafiqur Rahman Barq, SP, MP- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shafiqur Rahman Barq, SP, MP

Highlights

  • हिजाब पर बैन उचित नहीं-शफीकुर्रहमान बर्क
  • बीजेपी माहौल को बिगाड़ रही है-शफीकुर्रहमान बर्क

Hijab Ban : समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने कहा कि इस्लाम के अंदर औरतों के लिए हिजाब का हुक्म किया गया है ताकि महिलाएं बेपर्दा होकर न घूमें। उन्होंने कहा कि हिजाब नहीं पहनने से आवारगी बढ़ती है और इससे समाज को भी नुकसान पहुंचता है। बर्क ने कहा-हजरत मोहम्मद का जो कानून है हम उसी को मानते हैं, हिजाब रहना चाहिए। उन्होंने बीजेपी पर माहौल को बिगाड़ने का आरोप लगाया।

हिजाब पर बैन उचित नहीं-शफीकुर्रहमान 

शफीकुर्रहमान बर्क ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी राय देते हुए कहा कि हिजाब पर बैन उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हिजाब रहना चाहिए, हिजाब के नहीं पहनने से आवारगी बढ़ती है। दरअसल कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में के जजों की राय अलग-अलग आने के बाद इस चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया ताकि बड़ी बेंच इस पर सुनवाई कर सके। 

सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन पर बंटा हुआ फैसला

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया और कहा कि यह अंतत: ‘‘पसंद का मामला’’ है। हाईकोर्ट ने प्रतिबंध हटाने से इनकार करते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में ‘‘अनिवार्य धार्मिक प्रथा’’ का हिस्सा नहीं है। पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस गुप्ता ने 26 याचिकाओं के समूह पर फैसला सुनाते हुए शुरुआत में कहा, ‘‘इस मामले में अलग-अलग मत हैं।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने इस फैसले में 11 प्रश्न तैयार किए हैं पीठ ने खंडित फैसले के मद्देनजर निर्देश दिया कि हाईकोर्ट  के फैसले को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को बड़ी बेंच के गठन के लिए चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाए। 

जस्टिस धूलिया ने पसंद का मामला बताया

जस्टिस धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: ‘‘पसंद का मामला है, इससे कम या ज्यादा कुछ और नहीं।’’ जस्टिस धूलिया ने कहा, ‘‘मेरे निर्णय में मुख्य रूप से इस बात पर जोर दिया गया कि मेरी राय में अनिवार्य धार्मिक प्रथाओं की यह पूरी अवधारणा विवाद के निस्तारण के लिए आवश्यक नहीं थी।’’ उन्होंने कहा कि उनका ध्यान बालिकाओं, खासकर ग्रामीण इलाकों में रह रही बच्चियों की शिक्षा पर केंद्रित है। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हम उनका जीवन बेहतर बना रहे हैं।’’ 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिकाएं

जस्टिस धूलिया ने हाईकोर्ट  के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के पांच फरवरी, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में 10 दिन तक चली बहस के बाद शीर्ष अदालत ने 22 सितंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इनपुट-भाषा

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