Highlights
- ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में हुई सुनवाई
- जिला अदालत में दाखिल थीं13 याचिकाएं
- पिछली सुनवाई में कार्बन डेटिंग मांग खारिज
Gyanvapi Case Update: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में आज फिर से वाराणसी की जिला आदालत में सुनवाई हुई है। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में पक्षकार बनने को लेकर 13 याचिकाएं दाखिल थीं। आज की सुनवाई के बाद जिला जज ने 13 में से 8 याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। बता दें कि ज्ञानवापी मामले पर सोमवार को वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस मामले में आज 13 याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
21 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
दरअसल, ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में विश्वनाथ धाम सुंदरीकरण योजना में मिले मूर्ति का संरक्षण करने की याचिका दाखिल की गई थी। ये याचिका वादी राखी सिंह ने ज्ञानवापी श्रृंगार केस में अहम सुराग को लेकर दाखिल की थी। आज इस मामले की सुनवाई जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई है। आज की सुनवाई में दाखिल 13 में से 8 याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं। अब ज्ञानवापी केस की अगली सुनवाई जिला अदालत में 21 अक्टूबर को होगी।
कार्बन डेटिंग मांग हुई थी खारिज
बता दें कि 14 अक्टूबर को कोर्ट ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक जांच की मांग खारिज कर दी थी। कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक जांच की मांग हिंदू पक्ष की ओर से की गई थी। पिछली सुनवाई जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कार्बट डेटिंग मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था। कार्बन डेटिंग की याचिका खारिज होने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा था कि वे वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
कथित शिवलिंग पर क्या है दोनों पक्षों का दावा
गौरतलब है कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में सर्वे के दौरान मिले स्ट्रक्चर को हिंदू पक्ष शिवलिंग मान रहा है और दूसरा यानी मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष इस बात की मांग कर रहा है कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए। ताकि उसकी उम्र का पता चले और मामला साफ हो जाए। लेकिन वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग खारिज कर दी। जिला अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है उसे सुरक्षित रखा जाए। ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन होगा और आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है।