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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी से जुड़े एक मामले में 7 अक्टूबर को आएगा बड़ा फैसला, इससे तय होगा पूरा केस

Gyanvapi Case: अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने कहा कि शिवलिंग पत्थर का होता है। उसकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती। कार्बन डेटिंग जीवित चीज की होती है। इनकी यह भी दलील है कि सर्वे के मुद्दे पर दी गई आपत्ति का अब तक निस्तारण नहीं हुआ है, ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन प्रीमेच्योर है।

Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: September 30, 2022 11:23 IST
Gyanvapi Masjid - India TV Hindi
Image Source : PTI Gyanvapi Masjid

Highlights

  • कार्बन डेटिंग का आवेदन प्रीमेच्योर है - अंजुमन इंतजामिया मसाजिद
  • काशी विश्वनाथ मंदिर से बिल्कुल सटा है ज्ञानवापी मस्जिद
  • दालत ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 7 अक्टूबर तय की है

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी सर्वे में मिले 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग होगी या नहीं, इस पर कोर्ट का आदेश 7 अक्टूबर को आएगा। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश के लिए जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। सुनवाई के दौरान वादिनी राखी सिंह के वकील ने कार्बन डेटिंग न कराए जाने की मांग की तो वहीं चार अन्य वादियों के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कार्बन डेटिंग या साइंटफिक जांच करवाकर उसकी प्राचीनता का पता लगाने की गुहार लगाई।

सुनवाई में वादी संख्या दो से पांच तक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने 16 मई को कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिली शिवलिंग जैसी आकृतिनुमा चीज की कार्बन डेटिंग की बात रखी। उन्होंने कहा, "हमने आकृतिनुमा चीज के नीचे अरघे और आसपास की जांच मांग की है। हम भी नहीं चाहेंगे कि शिवलिंग से छेड़छाड़ हो, लेकिन जांच से यह पता चलेगा कि शिवलिंग कितना पुराना, लंबा, ऊंचा और गहरा है।" इस पर वादी संख्या-एक राखी सिंह के अधिवक्ता मानबहादुर सिंह व अनुपम द्विवेदी ने कहा कि कार्बन डेटिंग से अपने अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया जा रहा है। जांच से शिवलिंग के खंडित होने का अंदेशा है।

Gyanvapi Case

Image Source : FILE
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उन्होंने कहा, "जांच के लिए उसे हटाना पड़ सकता है और इसे मुस्लिम पक्ष दोबारा लगाने नहीं देगा। हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है। जांच का आवेदन मुस्लिम पक्ष को देना चाहिए। हमारी तरफ से आवेदन देने पर अपने अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो रहा है और हम इसका विरोध कर रहे हैं। इसको लेकर कोई भ्रम नहीं है, यह चीज शिवलिंग ही है।"

कार्बन डेटिंग का आवेदन प्रीमेच्योर है - अंजुमन इंतजामिया मसाजिद

उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने कहा कि शिवलिंग पत्थर का होता है। उसकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती। कार्बन डेटिंग जीवित चीज की होती है। इनकी यह भी दलील है कि सर्वे के मुद्दे पर दी गई आपत्ति का अब तक निस्तारण नहीं हुआ है, ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन प्रीमेच्योर है। इस आकृति को लेकर भ्रमित किया जा रहा है, यह फव्वारा ही है। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने फव्वारे को सुरक्षित व संरक्षित रखने का आदेश दिया है। ऐसे में उस पर जांच के लिए केमिकल डालने पर उसका क्षरण होगा। ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है।"

अदालत में चार महिला वादियों की तरफ से जहां सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने वैज्ञानिक विधि, जीआरपी सर्वे के जरिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से 16 मई को बरामद शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की जांच कार्बन डेटिंग या जो भी आधुनिक तरीके है उस माध्यम से कराने की गुहार लगाई।

Gyanvapi Masjid

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कर्माइकल लाइब्रेरी के ध्वस्तीकरण के दौरान मलबे में मिली गणेश-लक्ष्मी की प्राचीन मूर्ति के संरक्षण के लिए मंगलवार को वादी राखी सिंह की ओर से दाखिल अर्जी पर गुरुवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की। वादी अधिवक्ता मान बहादुर सिंह व अनुपम द्विवेदी ने कहा कि यह मूर्ति भविष्य में ज्ञानवापी मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हो सकती है। लिहाजा, इसे संरक्षित के लिए आदेश दिया जाए।

प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से इस पर आपत्ति दाखिल की गई। इस पर अदालत ने कहा कि इसे अगली तारीख पर सुना जाएगा। अदालत ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 7 अक्टूबर तय की है। उधर, ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनने के लिए आए करीब एक दर्जन आवेदनों पर सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।

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