Gyanvapi Case: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत में मंगलवार को जिरह के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और मस्जिद से सबंधित कोई भी सुनवाई करने का अधिकार सिर्फ वक्फ बोर्ड को ही है। बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।
'अधिकार सिर्फ वक्फ बोर्ड को है'
मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता शमीम अहमद ने बताया कि उन्होंने जिला जज ए के विश्वेश की अदालत में दलील दी कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और मस्जिद से संबंधित कोई भी सुनवाई करने का अधिकार सिर्फ वक्फ बोर्ड को ही है। उन्होंने अदालत से कहा कि वर्ष 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुबंध करके ज्ञानवापी परिसर स्थित एक हिस्से को पुलिस कंट्रोल रूम बनाया था।
'बहस बुधवार को भी जारी रहेगी'
उन्होंने अदालत से कहा विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के समय भी उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ से ज्ञानवापी मस्जिद की कुछ जमीन ली थी और उसके बदले में दूसरी जगह जमीन दी। इससे साबित होता है कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की ही संपत्ति है। अहमद ने बताया कि बहस बुधवार को भी जारी रहेगी। कल भी मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें जारी रखेगा। अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि वर्ष 1669 में बादशाह औरंगजेब का शासन था और औरंगजेब ने ज्ञानवापी में आलमगीर मस्जिद का निर्माण कराया था। आलमगीर मस्जिद देश में वक्फ की संपत्ति है, इसलिए ज्ञानवापी भी वक्फ की संपत्ति है।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता पूर्व में कही बातों को ही दोहरा रहे हैं। यादव ने दावा किया कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में कहा कि 1669 में औरंगजेब की हुकूमत थी, तो उसने मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी। उन्होंने कहा कि आज भारत पर 'सनातनियों' का शासन है, तो मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों को भी सनातन धर्म के लोगों को सौंप दिया जाना चाहिए।