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Gyanvapi Carbon Dating: ज्ञानवापी: शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आ सकता है फैसला, आज वाराणसी कोर्ट में होगी सुनवाई

Gyanvapi Carbon Dating: शिवलिंग की स्थापना करते वक्त, उसके नीचे जो फूल, चावल, दूध इत्याधि चढ़ाया गया होगा, वहां से मिट्टी का नमूना लेकर कार्बन डेटिंग की जा सकती है।

Written By: Shashi Rai @km_shashi
Published : Oct 11, 2022 7:17 IST, Updated : Oct 11, 2022 7:17 IST
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Image Source : INDIA TV Representative image

Highlights

  • ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर सुनावई आज
  • वाराणसी जिला कोर्ट ने 7 अक्टूबर को फैसला टाल दिया था

Gyanvapi Carbon dating: आज ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर सुनावई होगी। बीते 7 अक्टूबर को वाराणसी जिला कोर्ट ने फैसला टाल दिया था। जिला कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा था कि 'हमने कार्बन डेटिंग की मांग शिवलिंग के लिए नहीं की है। हमने मांग की है कि ASI की एक्सपर्ट कमेटी से इसकी जांच की जाए। यह शिवलिंग कितना पुराना है, यह शिवलिंग है या फव्वारा है? शिवलिंग के आसपास अगर कुछ कार्बन के पार्टिकल्स मिले तो उसकी जांच की जा सकती है, लेकिन हमारी मांग सिर्फ एक विशेषज्ञ कमेटी बनाकर इसकी जांच करनी है।'

मुस्लिम पक्ष का क्या कहना है? 

विष्णु जैन ने कहा था कि दलीलें पूरी हो चुकी हैं। जिला जज इस पर अपना फैसला सुनाएंगे जो ऑर्डर उन्होंने रिजर्व कर लिया है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने एफिडेविट देकर कहा है कि यह फव्वारा है और इसके लिए किसी एक्सपर्ट कमेटी की जांच की जरूरत नहीं है। हिंदू पक्ष के एक वकील जितेंद्र सिंह विशेन और उनकी वादी पत्नी रेखा सिंह द्वारा कार्बन डेटिंग पर सवाल उठाए जाने पर विष्णु जैन ने कहा था कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है कि कौन क्या कर रहा है, वह सिर्फ एक वकील की हैसियत से 4 महिला वादियों की तरफ से इस केस में बहस कर रहे हैं। 

कैसे की जाती है कार्बन डेटिंग

कार्बन एक विशेष प्रकार का समस्थानिक (आइसोटोप) होता है। इसका उपयोग ऐसे कार्बनिक पदार्थों की उम्र का पता लगाने में किया जाता है, जो भूतकाल में कभी जीवित यानि सजीव थे। क्योंकि सभी सजीवों में किसी ने किसी रूप में कार्बन मौजूद होता है। ऐसे कार्बनिक पदार्थों या जीवों की मौत के बाद उनके शरीर में मौजूद कार्बन 12 या कार्बन-14 के अनुपात अथवा अवशेष बदलना शुरू हो जाते हैं। कार्बन-14 रेडियोधर्मी पदार्थ है, जो धीरे-धीरे समय बीतने के साथ सजीव शरीर में कम होने लगता है। इसे कार्बन समस्थानिक आइसोटोप सी-14 कहा जाता है। इसके जरिये कार्बनिक पदार्थों वाले सजीवों की मृत्यु का समय बताया जा सकता है। इससे उसकी अनुमानित उम्र का पता चल जाता है। इसे कार्बन डेटिंग कहते हैं। इसके जरिये 40 हजार से 50 हजार वर्ष तक पुरानी आयु वाले जीवों का पता लगाया जा सकता है। क्योंकि इसके बाद कार्बन का भी पूर्ण क्षरण हो जाता है। मगर निर्जीवों में कार्बन नहीं होने से उनकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती।

कार्बन डेटिंग से क्या शिवलिंग की उम्र का पता चलेगा?

बीएसआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज राय के अनुसार कार्बन डेटिंग से सिर्फ कार्बनिक पदार्थों की मौजूदगी वाले सजीवों की उम्र का ही पता लगाया जा सकता है। शिवलिंग निर्जीव (पत्थर का बना) पदार्थ है। इसलिए इसकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती। मगर शिवलिंग की स्थापना करते वक्त, उसके नीचे जो फूल, चावल, दूध इत्याधि चढ़ाया गया होगा, वहां से मिट्टी का नमूना लेकर कार्बन डेटिंग की जा सकती है। इससे शिवलिंग की भी अनुमानित उम्र का पता लगाया जा सकता है।

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