Highlights
- मायावती और मुलायम सिंह के बीच आई थी दरार
- जून महीने में 1995 में हुआ था गेस्ट हाउस कांड
- सपा समर्थकों ने गेस्ट हाउस पर किया था हमला
Guest House Scandal: समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया है। वह 82 साल के थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अनेक नेताओं ने यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में सपा अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव के हवाले से इसकी जानकारी दी गई है। अखिलेश ने ट्वीट में कहा, ‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।’
उनके निधन पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, 'समाजवादी पार्टी के व्योवृद्ध नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आज निधन हो जाने की खबर अति-दुःखद। उनके परिवार और सभी शुभचिंतकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।' जब भी मायावती और मुलायम सिंह यादव का नाम लिया जाता है, तो लोगों के जहन में गेस्ट हाउस कांड की यादें ताजा हो जाती हैं। ये एक ऐसी घटना थी, जिसे लोग आज तक नहीं भूले हैं। इस कांड के बाद से न केवल दोनों पार्टियों की राह अलग हो गईं बल्कि मायावती और मुलायम के बीच भी दरार आ गई थी।
1992 में हुआ था पार्टी का गठन
मुलायम सिंह यादव ने साल 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था। इसके बाद चुनाव होने थे, उससे पहले ही समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन कर लिया। ये गठबंधन इतना मजबूत साबित हुआ कि इसने भाजपा को हरा दिया। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार बनी, जो साल 1995 तक चली। इस बीच ऐसे कई मौके आए, जब कांशीराम और मुलायम सिंह के रिश्तों में कड़वाहट आई। कांशीराम बसपा के संस्थापक थे। उनके ही कहने पर मायावती ने सपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था। जिससे मुलायम सिंह यादव की मुख्यमंत्री की कुर्सी छिन गई।
कुर्सी जाने के बाद जो घटना हुई, वही गेस्ट हाउस कांड के नाम से जानी जाती है। मुलायम सिंह यादव के समर्थकों ने मायावती पर हमला कर दिया था। जिसके बाद मायावती और मुलायम किसी सरकारी कार्यक्रम तक में साथ दिखाई नहीं दिए। दरअसल हुआ ये कि 2 जून, 1995 का दिन था। मायावती तब बसपा के विधायकों के साथ लखनऊ के गेस्ट हाउस के कमरा नंबर एक में थीं। तभी अचानक सपा के समर्थक उस गेस्ट हाउस में घुस गए। इनसे अपनी जान बचाने के लिए मायावती ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। इसके बाद से मुलायम सिंह मायावती का नाम लेने से भी बचते थे।
मायावती को कौन बचाने आया था?
इस घटना के बाद बसपा ने आरोप लगाया कि सपा के लोगों ने मायावती को धक्का दिया था। मुकदमे में लिखवाया गया कि वो लोग उन्हें मारना चाहते थे। यही कांड गेस्ट हाउस कांड कहलाता है। कहा ये भी जाता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोग मायावती को यहां बचाने पहुंचे थे। इसके बाद भाजपा के लोगों ने राज्यपाल के पास जाकर कहा था कि वह सरकार बनाने के लिए बसपा का साथ देंगे। तब कांशीराम ने मुख्यमंत्री के पद पर बिठाने के लिए मायावती को चुना।
वहीं जब साल 2019 में अखिलेश यादव और मायावती के बीच गठबंधन हुआ था, तब मायावती ने इस कांड का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, 'हम भाजपा को रोकने के लिए पहले भी गठबंधन कर चुके हैं। जो कुछ वजहों से ज्यादा दिनों तक नहीं चला था। लेकिन अब जनहित को 2 जून, 1995 के गेस्ट हाउस कांड से ऊपर रखते हुए हमने चुनावी समझौता करने का फैसला लिया है।' मायावती के ऐसा कहने के बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि मायावती का सम्मान मेरा सम्मान है। कोई नेता अगर मायावती का अपमान करता है, तो सपा कार्यकर्ता समझ लें, वह उनका नहीं बल्कि मेरा अपमान है।