उत्तर प्रदेश: लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों और कुछ अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। प्राथमिकी लखनऊ के पीजीआई थाने में दर्ज कराई गई है। स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) राजेश राणा ने कहा कि उन्हें बीजेपी सदस्य सतनाम सिंह लवी से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की जिला कार्य समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह ने 10 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येंद्र कुशवाहा, महेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, एस एस यादव, संतोष वर्मा, सलीम और कुछ अज्ञात लोग हैं।
समर्थन में उतरे थे नामजद आरोपी
थानाध्यक्ष ने कहा, "रामचरितमानस के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां और सार्वजनिक रूप से इसके पन्नों को जलाने से समाज में विभाजन और सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। आरोपी ने सोशल मीडिया पर पवित्र पुस्तक के खिलाफ बात की और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।" इन सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा- 153-ए, 295 ए, 505 और 298 और आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी रविवार को अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के बैनर तले समाजवादी पार्टी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में उतरे थे।
सपा नेता अपने बयान पर कायम
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है, "गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं...किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।"
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