Dinesh Sharma on Nitish Kumar: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने रविवार को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान पद का चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे। नीतीश के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की जनता दल-यूनाइटेड (JDU) की प्रदेश इकाई की ख्वाहिश के बीच शर्मा ने यह पलटवार किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर एटा पहुंचे शर्मा ने मतदाताओं से बातचीत में जदयू की प्रदेश इकाई की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की गुजारिश किए जाने के बारे में एक सवाल पर कहा, "नीतीश कुमार को पहले उत्तर प्रदेश में प्रधानी का चुनाव लड़ना चाहिए। उसमें भी उनकी जमानत जब्त हो जाएगी।"
उनका यह सपना निराधार है- दिनेश शर्मा
उन्होंने कहा "बिहार में अपना आधार खो चुके नीतीश कुमार अगर उत्तर प्रदेश में अपना आधार ढूंढ़ने आ रहे हैं, तो उनका यह सपना निराधार है।" गौरतलब है कि जनता दल यूनाइटेड की उत्तर प्रदेश इकाई ने हाल में पटना में हुए पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में नीतीश कुमार को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य की फूलपुर, मिर्जापुर या अंबेडकरनगर में से किसी एक सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, नीतीश कुमार ने इस पेशकश को नकार दिया है।
शर्मा ने दिग्विजय सिंह पर भी साधा निशाना
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना इन दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन दल के निशाने पर आए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से तुलना करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने सिंह का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीएफआई और संघ की तुलना नहीं हो सकती, पीएफआई देश तोड़ने वाला संगठन है।
दिग्विजय ने की थी RSS की तुलना PFI से
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से की और कहा कि जो कोई भी नफरत फैलाता है वे एक थाली के चट्टे बट्टे (उसी तरह के) हैं। उन्होंने पीएफआई के खिलाफ सरकारी कार्रवाई के बाद संघ और विश्व हिंदू परिषद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा था, "अगर उनके (PFI) खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, संघ के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, विहिप के खिलाफ क्यों नहीं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।" राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय और पुलिस की संयुक्त टीमों ने 22 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ देश के 15 राज्यों में कई छापे मारे थे और 106 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया था।