Highlights
- दिनेश खटीक ने कहा था कि दलित होने के कारण उनकी उपेक्षा की जा रही है।
- खटीक ने गुरुवार को कहा कि सीएम योगी तो भ्रष्टाचार जरा भी बर्दाश्त नहीं करते।
- मंत्री ने कहा कि उनकी नाराजगी कुछ अफसरों से है जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं।
Dinesh Khatik: इस्तीफे की पेशकश करके उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार में हलचल मचा देने वाले मंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik Resigns) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या सरकार के किसी भी मंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। खटीक ने कहा कि उनकी नाराजगी तो कुछ अफसरों से है जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं। इससे पहले खटीक ने बुधवार को यह कहते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था कि दलित होने के कारण उनकी उपेक्षा की जा रही है।
‘सीएम तो भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त हैं’
खटीक ने गुरुवार को मेरठ में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मेरी मुख्यमंत्री या सरकार के अन्य किसी भी मंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ कुछ अफसरों से नाराज हैं, जो मनमानी करके सरकार को बदनाम कर रहे हैं। खटीक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि वह तो भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाए हुए हैं, लेकिन अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सम्मान चाहिए मगर कुछ अफसर सम्मान तो अलग बात है मांगने पर सूचना भी नहीं देते हैं।
खटीक ने लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप
बता दें कि खटीक ने दलित होने के चलते विभागीय अधिकारियों द्वारा उनकी अनदेखी किये जाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। उन्होंने विभाग में भ्रष्टाचार होने का आरोप भी लगाया था। खटीक ने एक ओर अपना इस्तीफा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजा तो दूसरी ओर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर उन्हें भी एक प्रति दी थी। चिट्ठी में दिनेश खटीक ने दलित होने के कारण अधिकारियों द्वारा सुनवाई न होने, तबादलों और नमामि गंगे योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। चिट्ठी की अंतिम लाइन में उन्होंने इस्तीफा देने की बात कही थी।
‘कभी-कभी बुलडोज़र उल्टा भी चलता है’
दिनेश खटीक ने इस मामले को लेकर बुधवार रात बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की थी। खटीक के इस्तीफे के बाद विपक्ष ने सूबे की योगी सरकार पर जमकर हमला बोला था। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘जहां मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले, ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है। कभी-कभी बुलडोज़र उल्टा भी चलता है।’