लखनऊ: उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के हस्तक्षेप के बाद लखनऊ के एक निजी अस्पताल को एक मरीज के परिवार से लिया गया अधिक शुल्क लौटाना पड़ा। गोंडा जिले की 54 वर्षीय महिला राम प्यारी देवी 24 मार्च को पेट में तेज दर्द के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) आई थीं। महिला केजीएमयू में भर्ती नहीं हो सकी और कुछ एजेंटों ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया।
उनके बेटे दिलीप ने बताया कि अस्पताल ने शुरू में पित्ताशय की सर्जरी के लिए 35,000 रुपये मांगे, लेकिन बाद में 45,000 रुपये और जमा करने को कहा। दिलीप ने कहा, ‘‘जब हमने अस्पताल प्रबंधन को सूचित किया कि हम 45,000 रुपये का भुगतान करने में असमर्थ हैं, तो अस्पताल के कर्मचारियों ने मेरी मां का इलाज बीच में ही रोक दिया और उन्हें अस्पताल से छुट्टी देने से भी इनकार कर दिया।’’
इसके बाद दिलीप ने एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ अपनी परेशानी साझा की, जिन्होंने इसके बारे में रिपोर्ट करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। सोशल मीडिया पोस्ट उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के संज्ञान में आई, तो उन्होंने अधिकारियों को मामले को देखने का निर्देश दिया। सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उनसे ब्रजेश पाठक के कार्यालय से दिलीप और उनकी मां के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिसे उन्होंने उनके साथ साझा किया।
पाठक के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के कार्यालय ने निजी अस्पताल के प्रबंधन से संपर्क कर परिवार से वसूले गए अतिरिक्त शुल्क को वापस कर महिला को छुट्टी देने को कहा। दिलीप ने बताया,‘‘अस्पताल प्रशासन ने हमें 20,000 रुपये लौटाए और मंगलवार को मेरी मां को छुट्टी दे दी। हमने अब उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती करने का फैसला किया है।’’
(इनपुट- एजेंसी)